Health Benefits Of Curd, Uses And Its Side Effects
दहीं और उसका महत्व
दहीं यह सबको प्यारा
होता है । बच्चों से लेकर बड़ों तक दहीं की लोकप्रियता बहोत बड़ी है । शायद एसा कोई
ही होगा जिसे दहीं अच्छी लगती ना हो । दहीं की वजह से भोजन के स्वाद की बढोती होती
है जिससे हर बड़े और बच्चे का लगाव दहीं की तरफ खास जुका हुआ होता है ।
भारत के सभी प्रांतो मे
दहीं का उपयोग कीसी न कीसी तरहा से किया जाता है। भारत मे तो दहीं और शक्कर किसी
शुभ कार्य की शुरुआत में शुगून के तौर पर खाया जाता है, विद्यार्थियों को उनकी परीक्षा देने से
पहेले भी दहीं और शक्कर दिया जाने का एक रिवाज है ।
क्यों दहीं और शक्कर शुभ कार्य के पहेले खाया जाता है ?
घर से बाहर जाते वक़्त
या शुभ कार्ये से पहेले दहीं शक्कर खाने का भारतीय रिवाज सालों से प्रचलित है ।
कुछ लोग मानते हैं की दहीं शक्कर खाने से यह सकारात्मक बल बढ़ता है और नकारात्मक
बातों को शरीर और मन से दूर रखता है । लेकिन यह दहि शक्कर के रिवाज के पीछे एक वैज्ञानिक
अभिगम भी है यह बहोत कुछ लोग ही जानते होंगे, और इसलिए वे इसे अंधश्रद्धा समजकर दहीं शक्कर को नहीं खाते है ।
दही आपके शरीर के लिए
प्राकृतिक शीतलता देने का काम करता है, जो गर्मी से लड़ने में मदद करता है। आपको यह अच्छे से पता
होगा की ,
चीनी / मिश्री यह ग्लूकोज का एक आवश्यक स्रोत है, जिससे आपके शररी के कोषों को ऊर्जा मिलती
है । जब आप दहीं और शक्कर एक साथ लेते हैं, तो इसका आपके शरीर पर जादुई असर होता है। यह आपकी चिंता दूर
करके आपको ठंडा और सराबोर करता है, आपको ऊर्जा की एक त्वरित खुराक देता है । इसलिए यह खाने से
आप खुद को ऊर्जावान और प्रसन्नता का अनुभव करते हैं ! यही कारण है कि दहीं चीनी छात्रोंको
भी दिया जाता है जो परीक्षा दे रहे हैं। किसी भी परीक्षा या तनावपूर्ण घटना के
दौरान हम आहार और पोषण के बारे मे ध्यान नहीं रखते हैं । ऐसे समय में, दही-चीनी कार्य को करने के लिए आवश्यक ऊर्जा के साथ शरीर को
ईंधन देता है और पोषण का ध्यान रखता है। तो अब आप जान गए होंगे की दहीं शक्कर के
पीछे का वैज्ञानिक तथ्य क्या है । अब जब कोई आपको दहीं शक्कर खाने के लिए दे तो
मना मत करना !
दहीं को कैसे जमाये :
दहीं को जमाने की लिए
दूध का शुद्ध होना जरूरी है । जितना ज्यादा पानी दूध मे रहेगा उतना ही दहि अच्छे
से नहीं जमेगा । दूध को जमाने से पहेले एकबार उसे अच्छे से गर्म जरूर से कर लें । मिट्टी के पात्र
मे जमाया हुआ दहीं बहोत अच्छा जमता है । जमते वक़्त दूध ज्यादा गर्म या ज्यादा ठंडा
नहीं होना चाहिए । दूध मे जामन ( थोड़ा सा दहीं ) अच्छी तरह से घोलकर ले । ठंडे मौसम मे दहीं जल्दी नहीं जमता है, इसलिए दूध मे ज्यादा जामन (दहीं ) डाले। दो
रात्री से अधिक जमाया हुआ दहि खट्टा बन जाता है । याद रखें के फिटकरी / नींबू या
कोई खट्टी चीजों को डालकर जमाया हुआ दहीं खट्टा बनता है और सेहत के लिए नुकसान देय
भी होता है ।
गाय के दूध से बना दहीं
पचने मे आसान होता है और भैंस के दूध से
बना हुआ दहीं लंबे समय के बाद पचता है और कफ को बढ़ता है ।
दहीं के गुण क्या होते हैं :
आयुर्वेद के प्राचीनतम
ग्रंथ चरक संहिता मे दहीं के गुणों का वर्णन इस तरह से पाया जाता है :
रोचनं दीपनं वृष्यं स्नेहनं बलवर्धनम्।
पाकेऽम्लमुष्णं वातघ्नं मंगल्यं बृंहणं दधि । । २२५। ।
शरद्ग्रीष्मवसन्तेषु प्रायशो दधि गर्हितम्। -चरक संहिता सूत्रस्थान 27
अच्छी तरह से
जमी हुई दहि भोजन मे रुचि उत्पन्न करती है । दहीं पाचन शक्ति को जगाने वाली और
वीर्यवर्धक होती है । यह पचने के बाद खट्टी बनती है और उसके गुणधर्म गर्म होते है
। दहीं वायु दोष का नाश करने वाली, मंगलकारी और स्थूलता प्रदान कारक होती है । शरद, ग्रीष्म और वसंत ऋतु मे दहीं पीना वर्ज्य होता है ।
दही या दूध के जीवाणु किण्वन ( fermentation ) द्वारा बनाया जाता है। दही बनाने के लिए उपयोग
किए जाने वाले बैक्टीरिया को "curd culture " कहा जाता है, जो दूध में पाए जाने वाले प्राकृतिक शर्करा के
रूप में होता है। यह किण्वन ( fermentation ) प्रक्रिया लैक्टिक एसिड का उत्पादन करती है, एक ऐसा पदार्थ जो दूध प्रोटीन को रूखा बनाता है, जिससे दही को इसका अनूठा स्वाद और बनावट मिल
जाता है।
दहीं के TOP5 फायदे :
1.
महत्वपूर्ण पोषक तत्व : दही में लगभग हर पोषक तत्व होता है जिसकी आपके
शरीर को जरूरत होती है। यह बहुत सारे बी विटामिन - विशेष रूप
से विटामिन बी 12 और राइबोफ्लेविन, दोनों के लिए जाना जाता है । फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, पोटेशियम कैल्शियम आदि आवश्यक खनिज भरपूर मात्र मे दहीं पाये जाते हैं । बस एक
कप दहीं आपके दैनिक कैल्शियम की जरूरत का 49% प्रदान करता है।
2.
नेचरल प्रोटीन : दही प्रोटीन
की एक प्रभावशाली मात्रा प्रदान करता है, जिससे हमारे शरीर की बहोत सारी मुख्य क्रियाने
सही ढंग से हो पाती हैं ।
3.
पाचक क्रिया : दहि पाचनक्रिया मे सहायक रहेता है । पेट की
सूजन या पतले दस्त होने पर दहीं को जायफल या भुने हुए जीरे के साथ लेने का आयुर्वेदिक
उपचार भारत मे काफी दशको से प्रचलित है ।
एक रिसर्च के मुताबिक दही में जीवित बैक्टीरिया, या
प्रोबायोटिक्स होते हैं । जिनके सेवन करने पर ये पाचन स्वास्थ्य को लाभ पहुंचा
सकते हैं । दुर्भाग्य से, बाज़ार मे मिलते काफी सारे दहि प्रोडक्टस को
पास्चुरीकृत किया जाता है, जो एक गर्मी का उपचार है जिनसे लाभकारी जीवाणु - प्रोबायोटिक्स मर जाते है। यह
सुनिश्चित करने के लिए कि आपके दही में प्रभावी प्रोबायोटिक्स शामिल हैं आपको दहीं
के लेबल पर सूचीबद्ध की माहिती को सही तरह से पढ़ना होगा । अगर उनमे प्रोबायोटिक्स
मौजूद रहेंगे तो वो निश्चित ही पेक पर लिखा होगा ।
4.
हड्डियों और ह्रदय के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी : दहीं vitaD से भरपूर होने की वजह से हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए फायदेमंद
होता है । एक रिसर्च के मुताबिक दहीं के नियमित सेवन से ह्रदय की धमनियों मे वसा बढ़ती
नहीं है । इसलिए उच्च रक्तचाप और कॉलेस्ट्रोल से संबन्धित बीमारियों से दूर रहा जा
सकता है ।
5.
त्वचा और बालों के लिए उपयोगी : दहीं मे मौजूद कई सारे खनिज तत्व और vitamins की वजह से त्वचा और
बालों पर लगाने से उन्हे पोषण देता है । बालों और त्वचा को योग्य मात्र मेन नमी
प्रदान कर उन्हे तरोताजा बनाता है । बालों मे रूसी दूर करने के लिए और त्वचा से
जुरियाँ निकलने के लिए दहीं का उपयोग हर घर मे सालों से किओया जाता है ।
दहीं का पानी :
आयुर्वेद
के अनुसार दहीं का पानी पचने मे हल्का होता है । इससे पाचन शक्ति अच्छी बनती है और
कब्ज दूर होती है । अच्छी तरह से जमी हुई दहीं का ही पानी सेवन करना चाहिए ।
दहीं खाते समय यह खास ध्यान रखें :
दहीं
फायदेमंद खुराक जरूर है , लेकिन सभी को यह शायद फायदा ना भी दे सके । आयुर्वेद के अनुसार दहीं खाने
के कुछ नियम हैं । अगर इन नियमों के अलावा दहीं खाया गया तो कहीं न कहीं यह
दुष्प्रभाव भी दिखा सकता है । आइये जानते हैं की दहीं को कैसे खाया जाए और दहीं से
क्या क्या दुष्प्रभाव देखने मिलते है :
· दहीं आयुर्वेद के अनुसार रात मे नहीं खा सकते
है ।
· शरद, गरमी और वसंत ऋतु मे दहीं पीना मना है ।
· दहीं जब भी खानी हो तब उसके साथ शक्कर, मिश्री,
नमक, मूंग दाल या काली मिर्च डालकर ही लेने से दहीं के खराब
गुण शरीर को नहीं मिलेंगे ।
· दहीं को गरम कर के कभी भी नहीं खाना चाहिए।
बाहर धूप से आकार तुरंत दहीं का सेवन भी नहीं करना उचित होगा।
· जिनकी पाचक क्षमता कमजोर है उन्हे दहीं पचाने
मे भरी पड सकता है । ऐसे समय पर कम मात्र मे और काली मिर्च डालकर दहीं खाना उत्तम
होगा ।
· आधा जमा हुआ – कच्चे दहीं का सेवन कदापि न करें
। आयुर्वेद के अनुसार आधा जमा हुआ दहीं त्रिदोष को असंतुलित कर रोग पैदा करता है ।
· दहि अगर खट्टा हुआ तो वो एसिडिटि, त्वचा विकार और हड्डियों मे
दर्द भी पैदा कर सकता है ।
· एक संशोधन के अनुसार हररोज दहीं खाने वाले
व्यक्तियों मे मोटापा और उससे होने वाली बीमारयो की परेशानी ज्यादा देखने मिलती है
।
· जिन महिलाओं को माहवारी संबंधित विकार हो उन्हे
आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह से दहीं खाना बंद करना चाहिए ।
· ऊपर बताए दहीं के लाभ सभी लोगो को एक समान लागू
नहीं होते हैं । दहीं ह्रदय रोग , त्वचा विकार या जुकाम आदि रोगों मे फायदेमंद नहीं भी हो सकता है । कुछ
लोगो मेँ दहीं से ह्रदय की – कफ की और त्वचा संबंधित बीमारियाँ बढ़ जाती है । इसलिए
आयुर्वेद डॉक्टर की सलाह से अपनी प्रकृति – Body Constitute जानकार ही दहीं का चिकित्सा की तरह उपयोग करना उचित होगा ।
To read this article in English : https://www.thelitthings.com/2020/09/health-benefits-side-effects-curd-dahi.html
- डॉ. जिगर गोर ( आयुर्वेद विशेषज्ञ )
श्री माधव स्मरणम आयुर्वेद चिकित्सालय
Thanks for the information..
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