Thursday, January 21, 2021

कोरोना वेक्सिन : सब कुछ जो आप जानना चाहते है

 कोरोना वेक्सिन : सब कुछ जो आप जानना चाहते है

          करीबन एक साल पहेलाए तक हमने कोरोना का नाम भी नहीं सुना था। लेकिन पिछले एक सालमे बच्चे से लेकर बूढ़े तक हर कोई यह नाम से परिचित था। कोरोना के इन्फेक्शन की वजह से काफी सारे लोग अचानक बीमार पड़ने लगे । सांस की बीमारी, खांसी और बुखार जैसी सामान्य बीमारियाँ जिसके हम कई सालों से आदि थे वे लक्षण जानलेवा बन रहे थे। पूरी दुनिया मे अचानक ही एक डरावना माहोल खड़ा हो गया था । हर कोई बाहर जाने से डरने लगा था और संक्रमित होने का भय मानो दिलोदिमाग पर हावी हो चुका था । कई सारे लोग डर के मारे घर से बाहर नहीं निकाल रहे थे । कोरोना का इन्फेक्शन तो नहीं हुआ लेकिन भय और डर के कारण मानो रुग्ण जरूर बन गए ।

          धीरे धीरे डॉक्टर और वैज्ञानिक  कोरोना के बारे मे और उसके उपचार के बारे सब माहिती बटोरते रहे । यह नए विषाणु के सामने टीका – वेक्सिन बनाने के प्रयास मे पूरी दुनिया जुड़ गयी ।  अब नए साल मे वेक्सिन भी बाज़ार मे आ गयी है । पूरी दुनिया अपनी उम्मीदे वेक्सिन पर लगा बैठा है । इस बीच अखबारों और न्यूज़ चेनल पर कोरोना की वेक्सिन के साइड एफ़ेक्ट्स के बारे मे तरह तरह के न्यूज़ आने लगे है । कोरोना से भी ज्यादा चर्चा आजकल इसके टीके की हो रही है लेकिन इसके ट्रायल के दौरान कुछ साइड एफ़ेक्ट्स की बाते भी छिड़ी थी । यह वेक्सिन सुरक्षित नहीं है ऐसी अफवाओ ने भी काफी ज़ोर पकड़ा हुआ है । इस बीच अब लोग कोरोना से ज्यादा उसकी वेक्सिन को लेकर डर महसूस कर रहे हैं।

          भारत मे भी अब टीकाकरण चालू हो गया ह। ये जब लिख रखा हूँ तब कोरोना-वेक्सिन प्रोग्राम को शुरू हुए करीबन एक सप्ताह होने आया है। अब लोग डर के मारे द्विधा मे हैं । क्लीनिक पर भी आयदिन मेरे पेशंट भी यही बात पूछ रहे हैं की हम वेक्सिन ले या न ले ? अगर वेक्सिन नहीं लेते है तो इन्फ़ैकशन होने का डर है और अगर टीका लेते हैं तो साइड इफैक्ट होने का डर है । एक तरफ खाई और दूसरी और कुंवा जैसा हाल हो रहा है । लेकिन अफवाओं पर और गलत माहिती परा ध्यान नहीं देना चाहिए । आइये वेक्सिन से जुड़े कुछ प्रश्न और उनके उत्तर जानते है , जिसे जानकार आपके सारे संदेह दूर हो जाएंगे ।

1.                टिकाकरण – वेक्सिन  क्या है ?

-         रोगप्रतिकारक बल प्राप्त करने के आयुर्वेद मे तीन प्रकार बताए है : सहज बल, कालकृत बल और युक्तीकृत बल । सहज बल हमे जन्मसे ही मिली हुई शक्ति है । समय / आयु के अनुसार कुछ शक्ति शरीर को मिलती है जिसे कालकृत बल कहेते है । युक्तिप्रयोग से हांसील बल को युक्तीकृत बल कहेंगे । टीका – वेक्सिन यह युक्तीकृत बल का ही एक भाग है । युक्ति पूर्वक शरीर की रोगप्रतीकारक बल हम वेक्सिन के द्वारा बढ़ाते है ।

-         वेक्सिन यह एक जैविक पदार्थो से बना तरल है जो सूक्ष्मजीवों को नष्ट करनेकी क्षमता रखता है । जन्म से लेकर समय समय पर शरीर मे कुछ बीमारियाँ न हो उनके बचाव के लिए, रोग के प्रति रक्षण के हेतु से टीके / वेक्सिन लगाए जाते है । पोलियो , टिटनस, खसरा, हेपटायटीस जैसे टीके हम सभी ने लगाए है । राष्ट्रीय टिकाकरण अन्तरगत हमने पोलियो सहित कई बीमारियोको नाबूद कर दिया है । वेक्सिनसे शरीर की शक्ति उस रोगके लिए बढ़ जाती है और बीमारी की रोकथाम हो सकती है । वेक्सिन न केवल बीमारी को काबू मे रखता है बल्कि बीमारी को फैलने से भी रोकता है ।

कोरोना वेक्सिन 

2.                मानव इतिहास की सबसे पहली वेक्सिन कौनसी थी ?

1796 मे डॉ. एडवर्ड जेनर ने चेचक के टीके का आविष्कार किया था । यह सबसे प्रथम वेक्सिन मनी जाती है । उसके बाद फ्रेच वैज्ञानिक लुई पाश्चर ने रेबीज़ के टीके का आविष्कर किया था । यह वेक्सिन से मेडिकल दुनिया मे मानवता को रोगों के संकट से बचाने का एक नया अध्याय शुरू हुआ था ।

3.                कोरोना वेक्सिन कम समय मे कैसे तैयार हुई ?

जैसे ही कोरोना का प्रकोप दुनिया भर मे बढ़ता गया, देश-विदेश के सारे वैज्ञानिक डॉक्टर वेक्सिन ढूँढने मे लग गए थे । नए जीवाणु की कोशिकाओ के अध्ययन से लेकर, रिसर्च देवलोपमेंट, दुष्परिणाम प्रभाव और ट्रायल तक के कई सारे पहलू इसमे मौजूद होते है । वेक्सिन का निर्माण करना एक जटिल कार्यप्रणाली है । कई टीके को बनाने मे सालों गुज़र गए है । लेकिन कोरोना महामारी के इस दौर मे हमे वेक्सिन की जरूरत भी उतनी ही ज्यादा थी । वैज्ञानिको की अथाग महेनत के परिणाम, एक साल से भी कम समय मे कोरोना की वेक्सिन बन कर तैयार हो गयी है । यह एक बेमिसाल कीर्तिमान से कम नहीं है । लेकिन यह याद रहे की एक साल से भी कम समय मे तैयार हुई यह वेक्सिन मे सभी पहलुओ का ध्यान रखा गया है ।

4.                वेक्सीन कैसे कार्य करती है ?

आयुर्वेद मे कहा गया है की : “विषस्य विषम औषधम ।“

– याने की विष ही विष को मारता है ।

-         वेक्सिन भी यही बात के आधार पर बनती है । सुषुप्त और निरुपद्रवी (आधे मरे ) जीवाणुओ का एक विशिष्ट पद्धति से जैविक तरल तैयार किया जाता है । इस जैविक तरल / वेक्सिन को शरीर मे प्रवेश कराया जाता है ।

-         वेक्सिन के जैविक पदार्थ शरीर मे जाकर शरीर की रोगप्रतीकारक सिस्टम को एक्टिवेट करते है । हमारा शरीर उन जहरीले वायरस – रोगकारक जीवाणु के विष से रक्षण के लिए प्रतिरक्षी कोष ( antibody ) का निर्माण करता है । अगर हमारे शरीर मे यह अंटीबोंडी नामके सैनिक पर्याप्त मात्र मे है तो इन्फ़ैकशन – जीवविष से हमारे शरीर को कुछ नुकसान नहीं होता है ।

-         इस तरह यह अंटीबोंडी द्वारा शरीर की इम्यून सिस्टम सुचारु रूपसे कार्यक्षम हो जाती है । एक सुरक्षा कवच हमारे शरीर को भविष्यमे आनेवाले विषाणुके हमले के खिलाफ अंटीबोंडी नामके सैनिक द्वारा मिलता है।  इस कारण इन्फ़ैकशन के प्रभाव मे शरीर आने पर भी हमारा शरीर उस टॉक्सिन को तुरंत नष्ट कर देता है, और बीमारी हमारे शरीर मे बढ़ती ही नहीं है ।


5.                भारत मे कोरोना वेक्सिन कौनसी है ?

यह जब हम लिख रहे हाँ तब (जनवरी 2021 मे ) भारत सरकार द्वारा कोरोना के 2 कंपनी के टीके जारी किए गए है । जिनका नाम कोविशील्ड (Covishield) और कोवेक्सीन (Covaxin) है।

यह दोनों टीको मे से कोई एक ले सकते है । यह स्नायु के इंजेक्शन (intramascualr) के रूप मे दो खुराक मे दी जाती है । पहेले डॉस की मात्र 0.5 ml है । दूसरा डॉस 28 दिनोके बाद दिया जाता है ।

लेबॉरेटरी 

6.                कोरोना वेक्सिन से क्या साइड एफेक्ट का खतरा है ?

-         वेक्सिन लेने से हर किसी को उसके दुष्प्रभाव दिखाई दे यह मुमकिन नहीं है । ICMR ( Indian Medical Research Council) के मुताबिक कुछ को हल्के से साइड एफेक्ट होनी की संभावना रहती है ।

-         आंकड़ो के मुताबिक 18 जनवरी तक 4,81000 लोगों को कोरोना वेक्सिन दिया गया है और उनमे से सिर्फ सिर्फ 580 लोगो मे याने की करीबन 0.2% लोगों को साइड इफैक्ट देखने मिले है । ये साइड इफ़ेक्ट्स हल्का बुखार, गले की खराश जैसे मामूली से लक्षण है जो अपने आप चले भी गए है । करोना वेक्सिन भी सारे ट्रायल और रिसर्च के परीक्षणों से गुज़रने के बाद ही हमारे सामने आई है । इसलिए कोरोना वेक्सिन का टीका लेना सुरक्षित है। साइड एफेक्ट की अफवाओ पर ध्यान न दे।

7.                कोरोना वेक्सिन के साइड एफफ़ेक्ट्स क्यूँ दिख रहे है ?

-         कोरोना की वेक्सिन हो या और कोई दूसरी, वेक्सिन के टीके दिये जाने पर अनपेक्षित परेशानीयुक्त लक्षण - साइड एफेक्ट की संभावना रहेती ही है । इसे मेडिकल की भाषा मे Adverse Effects Following Immunization (AEFI) कहा जाता है । यह लक्षण / साइड एफेक्ट मामूली , गभीर या अतिगंभीर हो सकते है ।

-         यह AEFI के लिए मेडिकल – प्रोटोकॉल तय किए जाते है । जिसके जुड़े हर गंभीर संभावनाओ पर सायंटिफिक विचार और उसके हल का उपाय भी तैयार किया जाता है । कोरोना की विक्सिन के लिए भी यह प्रावधान किया गया है । जिसके अंतर्गत टिककरण केंद्र पर मौजूद डॉक्टर और स्टाफ को उसके बारे मे प्रशिक्षण दिया जाता है । यह प्रोटोकॉल के अंतर्गत टीका देने के बाद व्यक्ति को कुछ मिनिट केंद्र पर ही रुकने के लिए कहा जाता है जिससे दुष्प्रभाव के लक्षण का परीक्षण किया जा सके ।

-         घर पर जाने के बाद अगर कोई तकलीफ हो तो वे डॉक्टर / हेल्थ वर्कर से संपर्क कर पाये इसलिए टीका लेने वाले व्यक्ति को आपातकालीन नंबर और टीके की माहिती का कार्ड भी प्रदान किया जाएगा ।

कोरोना वेक्सिन 

8.                कोरोना वेक्सिन कौन ले सकता है ?

-        कोरोना वेक्सिन 18 साल से बड़े उम्र के लोग ले सकते है । कोरोना वेक्सिन 18 साल के कम उम्र के लोगो को नहीं देनी है ।

-        गर्भवती महिलाएं, शिशु को स्तनपान करती महिलाओं को यह वेक्सिन नहीं लेनी है ।

-        जो व्यक्ति के रेपोर्ट्स कोविड पॉज़िटिव आए है उन्हे नहीं लेनी है । किन्तु जो लोग कोरोना के इन्फ़ैकशन से सम्पूर्ण ठीक हो गए हैं वे कोरोना वेक्सिन ले सकते है ।

-        कोरोना संक्रमित रुग्ण जिनहोने हाल मे ही अंटीबोंडी / प्लाज़्मा थेरेपी ली हो वे नहीं ले सकते है ।

-        और कोई बीमारी के कारण से अगर आपकी कोई ट्रीटमेंट चालू हो या आप हॉस्पिटल मे बहरती हुए हो तो यह कोरोना वेक्सिन अभी न ले ।

-        किडनी – ह्रदय की बीमारिया, केन्सर, फेफड़ों की तकलीफ से ग्रस्त दर्दी उनके डॉक्टर से परामर्श के बाद ही कोरोना की वेक्सिन ले ।

-        पहेले कोई दूसरे टीके से या इंजेक्शन लेने पर, या कोई ड्वाइयों से अगर रिएक्शन हुआ हो तो उन्हे पहेले उनके डॉक्टर से परामर्श लेना उचित होगा ।

9.                कोविन एप ( Co-Win App ) क्या है ?

-        कोविन एप के जरिये भारत के लोग अपना आवेदन का पाएंगे ।

-        कोविन एप ( Co-Win App ) यह “कोविड – 19 वेक्सीनेशन” के कार्यक्रम का डिजिटल प्लैटफ़ार्म  है । इस एप के माध्यम से टिकाकरण की माहिती का रेकॉर्ड – डेटाबेस रखा जाएगा ।

-        फिलहाल यह ऐप्लीकेशन किसी भी एप – स्टोर पर उपलब्ध नहीं है । अभी शुरू के दौर मे स्वास्थ्यकर्मी और फ्रंटलाइन वर्कर्स के टिकाकरण के बाद आम लोगो के लिए पंजीकरण के लिए उपलब्ध होगी ।

-        यह एप पर एक बार सेल्फ रजिस्ट्रेशन करने के बाद आपके मोबाइल नंबर पर पंजीकरण स्वीकृति की जानकारी दी जाएगी । और उसके बाद वेक्सिन देने की जगह, तारीख, और समय आदि की जानकारी मिलेगी ।

-        भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जानकारी दी गई है की इस एप के नकली वर्जन मार्केट मे दिख रहे है जिसे डाउनलोड न करे । Co-Win App जल्द ही लौंच होगा और उसकी आधिकारिक जानकारी भी दी जाएगी ।

मास्क पहेने 

10.          क्या कोरोना वेक्सिन लेने के बाद भी मास्क पहेनना पड़ेगा ?

-        कोरोना वेक्सिन लेने के बाद 7-15 दिनों मे वेक्सिन प्रभावी रूप से शरीर मे कार्य करने लगती है । वेक्सिन के ट्रायल के अनुसार यह 65-80% तक प्रभावी रूप दिखा पाएगी । इसलिए इन्फ़ैकशन होने के कुछ मौके बचते है यह निश्चित है ।

-        इसके अलवा भी कई सारे लोग टीके लगाने का इंतज़ार कर रहे है और वे जब तक इम्यून नहीं होते तब तक संक्रमण फ़ेला सकते है ।

-        भारत मे मिलने वाली वेक्सिन के बॉक्स पर “ सर्वे संतु निरामय : ।“ (सभी लोग रोग मुक्त हो) एसा लिखा है । कोरोना की यह महामारी के नाश के लिए हम सभी को जागृत बनना होगा । कोरोना महामारी से बोधपाठ लेकर आगे के भविष्य के लिए हमे क्या क्या सुधार करने चाहिए इस बात की चर्चा मैंने इससे पहेले के आर्टिकल मे की है, अगर आप चाहे तो वो यहा पढ़ सकते है: http://www.msayurved.com/2021/01/blog-post.html

-        इसलिए जितना हम चाहते है उतनी जल्दी मास्क या सेनीटाइजर से छुटकारा नहीं मिलेगा । खुद को सुरक्षित रखने के लिए मास्क का उपयोग जरूर करे, सोशियल डिस्टन्स बनाए रखे और सेनेटाइज़र का योग्य उपयोग करके स्वछता बनाए रखे । टीका सिर्फ बीमारी को रोकने के लिए है । हर्ड-इम्युनिटी द्वारा ही हम हमारी शक्ति कोरोना के खिलाफ बढ़ा पाएंगे और खुद को सुरक्षित कर पाएंगे ।

मास्टर स्ट्रोक : आज, जब हमने अपना वैक्सीन विकसित किया है, तो दुनिया भारत की ओर आशा से देख रही है। जैसे-जैसे हमारा टीकाकरण अभियान आगे बढ़ेगा, दुनिया के अन्य देश इससे लाभान्वित होंगे। भारत की वैक्सीन और हमारी उत्पादन क्षमता का मानव हित के लिए उपयोग किया जाना चाहिए, यह हमारी प्रतिबद्धता है।-माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी

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Friday, January 8, 2021

चलिये, गुज़रे साल से कुछ सीखकर नए वर्ष मे बनाए स्वस्थ और बहेतर ज़िंदगी

 चलिये गुजरे साल से कुछ सीखकर नए वर्ष मे बनाए स्वस्थ और बहेतर ज़िंदगी

कवि रॉबर्ट बर्न्स ने कहा है की,

“The Best laid Plans of Mice and Men often go awry!” - याने की हम कितना भी अच्छे से हमारे प्लान बना ले, कुछ न कुछ गलत हो ही जाता है ।

गुज़रा हुआ साल हम सभी के लिए चुनौतियों से भरपूर रहा । प्रकृति के मूल तत्वों को हम मनचाहे जितना छेड़ लें, आखिर मे हम मनुष्यों को कुदरत के सामने घुटने टेकने ही पड़ते है । पिछेले साल कुदरत को भी लॉक-डाउन के कारण अकान्त मे रहेने का मौका मिला होगा । प्रदूषण कम हुआ, हवा – पानी शुद्ध बने और पहाड़े दूर से भी दिखाई देने लगे । हमे भी यह अहसास हुआ की हमारी मनमर्जी के आगे प्रकृति की संतुलन की स्थिति ज्यादा मायने रखती है ।

प्रकृति का संतुलन 

          हम मे से कई सारे कहेंगे की गुज़रा साल भूल ही जाए तो बहेतर है ! लेकिन मैं कहूँगा की गुजरे हुए दिनों से हमे जो सीख मिली है वो हम कभी न भूले तो बहेतर है । जिसे हम बुरा वक़्त कह रहे है वही सही मायने मे अच्छा शिक्षक भी है । भूतकाल मे कई सारी विपदा और कुदरती आफत हम पर आई थी ; कुछ समय तो ऐसा था मानो की मनुष्य का नामोनिशान मीट जाएगा । लेकिन उन विकट परिस्थितियों मे भी हमने उनका डटकर सामना किया और विकास और प्रगति के पथ पर चले ।  

          बुरे वक़्त की ठोकरें हमे सही दिशा का ज्ञान करवाते है । और मुश्किल हालत ही विकास की नयी दिशा खोलते है । कोरोना के कारण कई सारे बिजनेस और उद्योग पर काले बादल छा गए थे । तो यही कोरोना की वजह से कई सारे नए बिजनेस प्लान सफल हुए । सिनेमा बंद हे तो ओटीटी प्लैटफ़ार्म सफल हुए, रैस्टौरेंट बंद हुए तो फूड डेलीवरी का बिजनेस खुला, सेनेटाइजर और मास्क का नया बिजनेस भी कोरोना की वजह से स्टार्ट हुआ ।  मुश्किल समय के अनुभव ही हमारी आगे की प्रगति की नींव है - यह हकरत्मक बात ही हमे पिछले साल से सिखनी है ।

          हमे अब ये अच्छी तरह समज आ गया है की दरअसल हमारी जरूरते बहोत कम है और सब कुछ बटोर लेने की हमारी लालच बहोत ज्यादा है । क्यूंकी ये पूरे साल ने हमे कुछ एसी बातों का अहेसास करवाया जो हम सालों से नज़रअंदाज़ कर रहे थे । अब तक मन की शक्ति और शरीर स्वास्थ्य को हम अहेमीयत नहीं दे रहे थे लेकिन वही हमारे लिए सबसे बड़ी ताकत है ये इस समय मे हमको अच्छे से समज आया है  । किसी करीबीकी बीमारी हो, मृत्यु हो या आर्थिक विटंबना हो, गुजरे साल मे धीरज और संयम के साथ परिवार के साथ बिताये एक एक लम्हे ने हमे अहेसास करवाया की परिवार का असली मोल क्या है।

जीवन

          संकट से समाधान की तरफकी गति का नाम ही जीवन है । आनेवाला नया साल हमारे लिए अनगिनत संभावनाओ और अवसर लेकर हमे गले लगाने के लिए उत्सुक है । चलिये भूतकाल से कोई गीला न रखे और पिछले साल की आपदा से सीख लेकर उन्हे नए अवसर मे बदले । आइये आने वाले साल को और हमार जीवन को स्वस्थ और बहेतर बनानेकी कुछ बाते पर नजर डाले ।

·                   स्वछता में ही प्रभु का वास है :

-         सफाई का पाठ हम कोरोना से अच्छे से सीख पाये है । वैसे तो बचपन से ही हमे स्व्छ्ता के नियम समजाए जाते है । लेकिन सही तरीके से हाथ धोना तो हम यह कोरोना के दौरान ही सीखे हैं । सफाई हर एक मायने मे हमारे व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए बहोत ही जरूरी है यह साबित हुआ है ।

स्वच्छता 

-         महात्मा गांधीजीने कहा है,

when there is both inner and outer cleanliness, it approaches Godliness…!

-         सफाई व्यक्तिगत हो, समाज की हो,हमारे खान पान की हो या वातावरण की – स्वछता से ही हम बहेतर स्वास्थ्य पा सकते है  । सफाई की आदत ये नए साल मे भी बनाए रखें।

·                   धैर्य – संयम – मानवता और साथ रहने से होगी नैया पार :

-         कोरोना के समय मे हमे धैर्य और संयम के बोधपाठ सीखने मिले । सोशियल – डिस्टेन्स का संयम हो या मास्क पहनने का संयम, आखिरकार वही हमारी ताकत बने । जिसने भी संयम रखा उनको बहोत कम तकलीफ भुगतनी पड़ी ।

-         आज से एक साल पहेले कोरोना का कोई उपचार हमे पास नहीं था और आज उसकी वेक्सिन बाजार मे आ गई है । इससे पहेले इतिहास मे इतनी जल्दी कोई वेक्सिन तैयार ही नहीं हुए थी । हमारे वैज्ञानिको का धैर्य ही यहा काम लगा है ।

-         कहेते हैं मुश्किल परिस्थिति मे जो साथ न छोड़े वही अपना होता है । कोरोना के समय मे कई लोगो के असली चहेरे सामने आए । कुछ अपनोने गैर बनकर साथ छोड़ा तो कुछ परायों ने अपना बनकर साथ निभाया ! पुलिस फोर्स , डॉक्टर और आरोग्य स्टाफ ने साहसिक बनकर हमारा साथ न छोड़ा और सुपर हीरो – वोरियर बन गए ।

मानवता ही धर्म है 
-         कई लोगो ने चुपचाप हो सके उतनी मदद आसपास के लोगों को की। कई दानवीरो ने खाना-राशन दान किए , तो कई लोगो ने आर्थिक तौर से मदद से सहयोग दिया । आसपास के राशन और सब्जीवालों ने भी दुकाने खोलकर सबकी मदद की, यह समय मे लोकल – मार्केट और लोकल-बिजनेस कितना महत्वपूर्ण है ये समज मे आया ।

सही मायने में मानवता के दर्शन हमे हुए और समज आया की एक दूसरे के साथ और सहकार से ही हम खुदका और समाज का विकास कर सकते है । मानवता के मूल्य पर चलकर और एकदूसरे की मदद से ही जीवन सफल हो पाएगा  । आनेवाले साल मे यथाशक्ति सबकी मदद करे, प्यार और भाईचारा फैला कर मानव मूल्यो को उत्कर्षित करें ।

·                   रोगप्रतिकारक क्षमता बरकरार रखे:

-         अपर्याप्त इम्युनिटी के कारण कई लोगों की मौत कोरोना के संक्रमण से हुई । कई लोगों को  अस्पतालों मे भर्ती  होना पड़ा । एक सर्वे के अनुसार करीबन 80 प्रतिशत से ज्यादा लोगो ने इस समय के दौरान अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए प्रयास किए है । इम्युनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेद उपचार ये दौर मे सफल हुए  । आयुर्वेद विज्ञान द्वारा शरीर बल को बढ़ाकर निरोगी रह सकते है ये पूरी दुनिया जान पायी है । हमारे रोग - प्रतिकारक बल को उच्चतम रखना कितना आवश्यक है ये हम अब समज पाये है 

इम्युनिटी

-         याद रहे की यह रोग प्रतिकारक बल सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक तौर पर भी होता है । जिसकी चर्चा मैंने पहेले के ब्लॉग मे भी की है । रोगप्रतीकारक बल को बढ़ाने के लिए आज ही आयुर्वेद विशेषज्ञ से मिलकर चर्चा करे । सर्वांगी जीवन विकास के लिए शरीर के उच्चतम बल इम्युनिटी को आने वाले समय मे भी बरकरार रखे ।

·                   स्वास्थ्य ही श्रेष्ठ धन है:

-         कोरोना के संक्रामण ने हमे नए सिरे से सिखाया की स्वास्थ्य का क्या महत्व है । कोरोना की वजह से कई लोगो ने अपने नजदीकी व्यक्ति को गवाया । कई लोग अस्पताल मे भर्ती हुए और स्वस्थ्य होने के लिए काफी खर्चा भी उठाया । अब जाकर समज मे आया की अस्पताल के बिल और जान से हाथ धोने से अच्छा है की स्वस्थ्य तंदूरस्त रहेने के प्रयोजन ढूँढे जाए ।

-         इसलिए काफी लोग यह समय मे अपने स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा जागरूक हुए । शायद पहेली बार लोगों ने भोजन में स्वाद नहीं बल्कि तंदूरस्ती और इम्युनिटी ढूँढने का प्रयत्न किया । पौष्टिक और आरोग्यप्रद खुराक को हमने ज्यादा महत्व दिया । हमे यह समजा की जीवन का आनंद लेने के लिए शारीरिक और मानसिक स्वरूप से तंदूरस्त रहेना जरूरी ही नहीं बल्कि अनिवार्य है । अपने स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार बने और तंदूरस्त रहेने के प्रयत्न नए साल मे भी करते रहे ।

·                   आयुर्वेद फॅमिली डॉक्टर:

-         COVID के रुग्ण की शीघ्रता से स्वस्थ करने मे आयुर्वेद विज्ञान की अहम भूमिका रही है । पिछले साल कोरोना से बचने के लिए रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाने हेतु आयुष डिपार्टमेंट ऑफ इंडिया के स्वास्थ्य सुजावों को भारत के लोगो ने अच्छे से स्वीकारा था । कई सारे लोग हमारे आयुर्वेद के उपचार द्वारा जल्दी से स्वस्थ भी हुए है। इस समय मे आयुर्वेद विज्ञान की महत्ता लोगों को सच मे समज आयी है ।

आयुर्वेद डॉक्टर 

-         आने वाले साल मे आपको सिर्फ फॅमिली डॉक्टर की जरूरत नहीं है, बल्कि आयुर्वेद विशेषज्ञ फेमिली-डॉक्टर की जरूरत है । एक ऐसा डिग्री धारक आयुर्वेद डॉक्टर जिसे आपकी अवम आपके परिवार के सदस्यो के स्वास्थ्य और प्रकृति के बारे मे सारी जानकारी हो । ताकि मुश्किल समय मे वो आपको बहेतर उपचार सिविधाए दे पाये ।

-         शुद्ध आयुर्वेद उपचार और आयुर्वेद डॉक्टर द्वारा दी गई हेल्थ – टिप्स से आप अपना स्वास्थ्य बरकरार रख सकते है । ये नए साल मे अपने फेमिली आयुर्वेद डॉक्टर को चुने और उनके साथ आपके स्वास्थ्य के बारे मे चर्चा करे ।

·                   तनाव मुक्त जीवनशैली ही स्वास्थ्य का आधार :

-         आप चाहे कितने ही शारीरिक पुष्ट हो लेकिन तनाव – चिंता – डर – गुस्सा आदि मानसिक विकार से ग्रसित हैं तो आप निश्चित ही रोगी है । कोरोना के समय में लोक – डाउन के दौरान कई लोग मानसिक स्वरूप से हताश – निराश और भयभीत हुए दिखे ।

-         बीमारी या विकट परिस्थिति से हम पहेले मानसिक तौर से निर्बल और कमजोर होते है । कई लोगो ने मानसिक संतुलन इतनी हद तक गवा दिया की उन्होने आत्महत्या कर ली । तो दूसरी और कई लोगो ने मानसिक संतुलन बना कर धैर्य और संजदारी से यह मुश्किल समय से अच्छे से उभर कर बाहर आए ।

-         लोक-डाउन के दौरान हमने घर पर बहोत सारा समय बिताया । पता चला की जिस मानसिक शांति के लिए हम बाहर भाग रहे थे वो तो मानसिक शांति घर पर ही सबके साथ रहने पर मौजूद मिली । लोक – डाउन मे मंदिर मे जाना बंद हो गया लेकिन हमे यह बात का अहेसास भी हुआ की अगर मन मे ईश्वर का वास हो तो घर ही एक मंदिर बन जाता है । 

तनाव मुक्त जीवन 

-         हमारे भावनात्मक आवेशों को काबू मे रखना हम सीखे । हमने पाया की खुशी हमारे भीतर ही है । और अंदरूनी खुशी से बढ़ाकर कोई भौतिक आनंद हमे सुख नहीं दे सकता है । 

-         आयुर्वेद विज्ञान मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों को महत्व देता है । यह समय मे ये बात जरूर से समज आ गयी की मानसिक तंदूरस्ती ही हमे जीवन का सही आनंद दे सकती है । मानसिक स्वास्थ्य और संतुलन से ही हम कठोर और विकट परिस्थिति से लड़कर बाहर निकल सकते हैं।

-         आने वाले नए साल मे योग – प्राणायाम और जीवनशैली मे योगी बदलावो से अपनी मानसिक संतुलन बरकरार रखे । आप मानसिक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद की औषधियाँ डॉक्टर की सलाह से ले सकती है । याद रहे आयुर्वेद की मानसिक स्वास्थ्य की औषधियों से साइड-एफेक्ट का कोई खतरा भी नहीं होता है । यह छोटे बच्चों से लेकर बड़े तक कोई भी आयुर्वेद डॉक्टर की सलाह से ले सकता है ।

·       हेल्थ पॉलिसी और आवश्यक बचत करे

-         स्वास्थ्य संकट के समय अगर आर्थिक संकट भी आ जाए तो हालत बदतर हो जाती है । इसलिए पहेलेते यही प्रयास हो की बीमार ही न हो । और अगर दुर्भाग्य वश बीमारी आ जाए या अस्पताल मे भर्ती होना पड़े तो हमारी बचत ही हमे तनाव से छुट दे सकती है । 

स्वास्थ्य बीमा 

- धन की बचत से बीमारी को तो नहीं हटा सकते है लेकिन बीमारी के खर्चों को जरूर ज़ेल सकते है । अगर कुछ धन राशि नियमित रूप से स्वास्थ्य बीमा पर खर्च की जाए तो भविष्य मे आने वाले बड़े खर्च से निजात पा सकते है । इसलिए आने वाले साल मे कुछ खर्च कम करके स्वास्थ्य बीमा के बारे मे भी सोचे । परिवार के लिए एमेर्जेंसी फ़ंड के लिए कुछ धन राशि बचा कर रखें ।

·                   परिवर्तन ही जीवन का नियम है:

-         कोरोना के दौर ने हमे सिखाया की वक़्त कभी भी बादल सकता है । दुनिया मे अनगिनत परिवर्तन होते ही रहेते है और हमे भी उसके अनुसार बदलना ही पड़ता है । चार्ल्स डार्विन के “Survival of Fittest” के नियम के अनुसार जो जीव पर्यावरण के बदलाव के अनुसार अनुकूलन साधेगा वही जीवित रह पाएगा । समय से बलवान कोई नहीं है । और समय के साथ खुद को बदलने की ताकत ही हमारा हथियार है ।

-         चलिये नए साल मे नए सिरे से नया जीवन जीने का प्रयत्न करे । सकारात्मक बनकर शांति और भाईचारे का विश्व को नया आयाम दे ।

Master Stroke:

Let this be the year that you open your arms, your heart and your soul wide to let love in. To let friendship in. To let people in. Let this ne the year that you put your happiness first and you experience, appreciate and breath life in all shades. Let this be your year. Just yours…!” –Ruby Dhal