Friday, November 19, 2021

Dengue : Prevention & Ayurvedic Management

Dengue : Prevention & Ayurvedic Management 

What is Dengue??
            Dengue is a mosquito-borne viral infection, found in tropical and sub-tropical climates worldwide, mostly in urban and semi-urban areas. The virus responsible for causing dengue, is called dengue virus (DENV).

Causes of Dengue??
            Dengue is caused when a mosquito bites an infected person, picks the virus and then bites someone else, thus passing the virus from one person to another.

How Dengue Spreads?

Symptoms in Dengue:
• High Fever
• Headache
• Vomiting
• Muscle and Joint Pain
• Skin Rashes
• Pain behind the eyes
• Swollen Gland

Symptong of severe Dengue:
• Severe abdominal pain
Persistent vomiting
• Bleeding from gums or nose
• Blood in the urine, stools or vomit
• Rapid breathing
• Irritability or restlessness
• Fatigue
• Clammy skin
• Red spots, particularly on the legs

Is Dengue dangerong in Pregnancy??
            A pregnant woman already infected with dengue can pass the virus to her fetus during pregnancy or around the time of birth. Dengue can have harmful effects, including death of the fetus, low birth weight, and premature birth.

Dengue in Children-
            Symptoms of dengue in children and those who have acquired the disease for the first time may be mild. Dengue symptoms in children are almost the same as in the young and in adults. A very high temperature in children can sometimes lead to fits or convulsions.

Risk Factors in Dengue:
            Children and old people are vulnerable to dengue disease. A small percentage of people suffering from dengue fever can develop a more serious form of the disease known as dengue hemorrhagic fever. The dengue hemorrhagic fever can trigger dengue shock syndrome.

Preventive Measures:
• Stay in air-conditioned or well-screened housing
• Wear protective clothing that covers the arms, legs, and head especially when visiting mosquito- infested areas
• Apply insect repellent to skin. The most effective repellents are those containing diethyltoluamide (DEET)
• Apply permethrin insecticide to clothes
• Use mosquito nets impregnated with permethrin
• Cover strollers and baby carriers with mosquito netting
• Reduce mosquito habitat such as standing water that can collect in things such as flower pots, tyres
etc

Foods to increase Blood Platelets Count naturally:
• Goat Milk
• Giloy Water
• Papaya Leaves Juice
• Coconut Water
• Pomegranate Juice
• Wheatgrass Juice
• Beet root Juice

Food which help to recover in Dengue: 
• Ginger Lemon Luke warm water
• soaked Almonds
• Soaked Munaka
• cook the food in sesame oil or coconut oil or cow ghee
• moong dal khichdi
• Millet Khichdi
• Upma
• Moong spinach dal
• Missi roti
• Barley moong dalia
• channa sattu
• Roasted Makhana
• Eat the food as per digestion capacity & physician advise.

How to prepare Papaya Leaf Juice:

Ingredients:
• Papaya leaves
• Black salt to taste
• 1 tsp lemon juice
• Honey 

Method:
• Chop the leaves and add it to the blender with some water. Just churn it and the juice is ready.
• Since the leaves are quite bitter in taste, you can add black salt and lemon to it. Mix well and
serve! Papaya leaf extract helps in increasing your blood platelet levels drastically.

Medicinal Plants as Mosquito Repellent:
• Tulasi
• Lavander 
• Marigold
• Pudina 

Ayurveda Treatment Bhuj

Ayurveda Treatment for Dengue :

            There are Ayurveda medications available that you can avail after consulting by an Ayurvedic doctor. While being on other pathy medications, you can also opt for Ayurvedic treatment to catalyse the process of recovery. 

Friday, October 29, 2021

सोरियासिस रोग के कारण और उपचार

सोरियासिस रोग के कारण और उपचार  :

        सोरियासिस एक जटिल बीमारेके स्वरूपमे  उभर कर आ रहा है । कई सारे लोग इस रोगसे सालो साल प्रभावित होते रहेते है। लाइफस्टाइल से लेकर हमारी ख़ुराक तक काफी सारे पहलू सोरियासिस के रोग को बढ़ावा देते है । सोरियासिस से कई लोग मानसिक तनाव ग्रस्त होते हुए भी हमने देखे है । जटिल होने के बावजूद भी आयुर्वेद उपचार से सोरियासिस ठीक जरूर होता है ।



सोरियासिस होने के कारण क्या है ?
  • त्रिदोष : आयुर्वेद विज्ञान के अनुसार यह वात अवम पित्त या  कफ अवम पित्त दोषकी बीमारी है ।
  • वात और पित्त के दूषित होने से कीटीभ नामक सोरियासिस पैदा होता है ।
  • कफ और पित्त के दुहसित होने से एक कुष्ठ नामका सोरियासिस बनता है ।
  • लाइफ़स्टाइल : हमारी जीवन शैली का प्रभाव शत प्रतिशत इस रोग पर होता है ।
  • ख़ुराक : विरुद्ध आहार, वायु और पित्त दोष को दूषित करने वाला ख़ुराक, बासी खाना, दहीं, मटर-चना - आदि वायु वर्धक ख़ुराक का अति सेवन करने से सोरियासिस हो सकता है


  • व्यसन : मद्यपान ( alcohol ), तंबाखू - smoking आदि सोरियासिस को बढ़ावा दे सकते है ।
  • कमजोर रोगप्रतिकरक शक्ति
  • मानसिक भाव : स्ट्रेस, चिंता, गुस्सा, निंद ठीक से न करना, रात्री जागरण आदि सोरियासिस रोग के लिए मुख्य कारण है ।
  • सोरियासिस को ऑटो इम्यून डिस ऑर्डर भी माना जाता है । यानि की हमारा इम्यून सिस्टम हमरे ही खिलाफ हो जाता है । इसमे हमारी रोगप्रतिकरक शक्ति इतनी ज्यादा उत्तेजित हो जाती है की उससे प्रभाव से सोरियासिस बढ्ने लगता है ।
  • जीनेटिक कनैक्शन : यह आनुवांशिक रोग भी माना जाता है । अगर मातापिता को सोरियासिस की बीमारी है तो आनेवाली पीढ़ीमे वो आ सकती है ।
  • सोरियासिस रोग के कुछ कारण आधुनिक विज्ञान अभी तक समज नहीं पाया है ।

सोरियासिस के लक्षण कैसे होते है ?
  • त्वचा पर सूजन
  • लाल - सफ़ेद चकते
  • कभी कभी खुजली जलन
  • त्वचा की परत सुखी होकर सफ़ेद पपड़ी निकलना
  • त्वचा के चकते पर दरारे आना और दर्द होना
  • नाखून मोटे और उसमे धब्बे आना
  • जोड़ो मे दर्द और सूजन आना
  • सिर की त्वचा पर सूजन और डेंड्रफ जैसी पपड़ी निकलना
  • कभी कभी सोरियासिस इतना बढ़ जाता है की मांसपेशिया कमजोर हो जाती है, ठंड बहुत लगती है और बुखार भी आ जाता है ।



सोरियासिस से कौनसे अंग प्रभावित होते है ?
  • सोरियासिस पूरे शरीर पर दिखाई सकता है
  • हाथ और पैरो पर : कोहनी, घुटने और उँगलियो पर प्रथम दिखता है ।
  • सोरियासिस पीठ - पेट और छाती पर ज्यादा देखने मिलता है
  • जब रोग नया होता है तब छोटे छोटे लाल-सफ़ेद चकते दिखते है और धीरे धीरे फैलते है ।
  • कुछ लोगो को सिर्फ सिर पर ( scalp Psoriasis )  होता है, कई बार इसे डेंड्रफ समजकर अनदेखा किया जाने पर बढ़ जाता है ।
  • सोरियासिस लंबे समय तक रहने पर हड्डियोंकों भी कमजोर बनाकर संधिवात ( सोरियाटिक आर्थेराइटिस ) पैदा करता है ।


क्या सोरियासिस छूने से फैलता है ?
  • नहीं, सोरियासिस यह चेपी नहीं है । सोरियासिस के पेशंट को छूने से यह बीमारी नहीं फैलती है । 


सोरियासिस के लिए क्या उपचार है ?
  • औषध : आयुर्वेद औषधि का सही चुनाव और मात्रा सोरियासिस रोग को ठीक कर सकता है, आयुर्वेद के डॉक्टर की सलाह से उपचार शुरू करे ।
  • बाह्य लेप : त्वचा पर लगाने के लिए डॉक्टर की सलाह से औषधीय तेल / औषधयुक्त क्रीम - लोशन लगाए
  • लाइफ़स्टाइल मे उचित बदलाव लाये
  • खुराक सादा - बिना मसालो वाला ले, संतुलित खुराक ले
  • मांसाहार बंद करे
  • नमकीन, तीखा, खट्टा और अम्लीय खुराक बंद करे
  • अचार, बैगन, आलू, मटर, चना आदि बंद करे
  • विरुद्ध खुराक बंद करे ( आयुर्वेद डॉक्टर की सलाह ले )
  • सात्विक भोजन ज्यादा फायदेमंद है
  • जंकफूड, पेकेट फूड, प्रेसेर्वेटिव वाले खुराक बंद करे
  • रात की अच्छी नींद ले
  • मद्यपान / स्मोकिंग / तंबाखू आदि व्यसन से दूर रहे
  • तनाव, चिंता, गुस्सा आदि मानसिक भाव दूर करने के लिए प्रयत्न करे
  • योग - प्राणायाम - सूर्य नमस्कार नियमित करे
  • सोरियासिस एक जटिल बीमारी है, जिसके उपचार के लिए दोष और धातु के स्टार पर चिकित्सा के साथ साथ दूसरे काफी पहलू पर काम करना पड़ता है ।
  • इसलिए सोरियासिस के उपचार को लंबा समय देना जरूरी होता है । साथ ही खानपान - लाइफ़स्टाइल की परहेज रखना अत्यंत आवश्यक होता है ।
  • खास ध्यान रखे की - सोरियासिस कई सारे प्रकार के होते है, इसलिए रोग का डॉक्टर के पास जाकर सही निदान करवाना भी बहोत आवश्यक है, सही निदान किए बिना उपचार सफल नहीं होंगे। इसलिए आयुवेद के मान्यताप्राप्त डॉक्टर के पास जाकर प्रथम निदान और फिर उनकी सलाह से उपचार शुरू करे ।
श्री माधव स्मरण आयुर्वेद क्लीनिक पर त्वचा रोगके आयुर्वेदिक उपचार किसी भी दुष्प्रभाव से मुक्त होने के साथ-साथ प्राकृतिक और आयुर्वेद के सिद्धांतो के आधीन भी हैं। यहां सभी त्वचा से संबंधित विकारों का इलाज सर्वोच्च प्राथमिकता और संवेदनशीलता के साथ किया जाता है !
त्वचा रोगसे संबंधित प्रश्न - परेशानी के लिए सलाह- परामर्श एवं औषध चिकित्सा पाने के लिए आप हमारा संपर्क कर सकते हैं।

🩺 डॉ. जिगर गोर ( आयुर्वेद विशेषज्ञ )
🏥 श्री माधव स्मरण आयुर्वेद क्लीनिक
🍃2007 से आपकी स्वास्थ्य सेवा में ।

🗺 नारायण कॉम्प्लेक्स, लोहाणा समाजवाडी के पास, नवावास, माधापर, भूज - कच्छ, गुजरात
📞 97241 57515
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Wednesday, October 20, 2021

Take care of your Bones !

 🦴 Our bones support us and allow us to move. According to ayurveda, the health of hair, nails, teeth, heart is depend on health of your bones. 

🦴 Our bones also store minerals such as calcium and phosphorous, which help keep our bones strong, and release them into the body when we need them for other uses. And so building healthy bones is extremely important.

🦴 Your bones are continuously changing — new bone is made and old bone is broken down. When you're young, your body makes new bone faster than it breaks down old bone, and your bone mass increases. 

👫🏻 Most people reach their peak bone mass around age 30. After that, bone remodeling continues, but you lose slightly more bone mass than you gain.

🦴 👫🏻🦴 How likely you are to develop osteoporosis - a condition that causes bones to become weak and brittle, depends on how much bone mass you attain by the time you reach age 30 and how rapidly you lose it after that. acc to survey, Osteoporosis and thinning bones is a major but underappreciated public health problem.



🦴 What affects bone health ?

- The amount of calcium in your diet 

- Physical activity 🏃🏼🏃🏽‍♀️

- Tobacco and alcohol use 🚬🍺

- Age and size - weight  of your body 🏋🏻️👴🏻

- family history 👨‍👩‍👦👨‍👩‍👧‍👦

- Hormone levels 

- Eating habits 🥗

- Medicine u taking 💊


💪🏼 What can keep my bones healthy?

- Add dairy products in diet ( milk, cheese, yogurt, tofu etc ) 🐮

- Take Green leafy vegetables (e.g., broccoli, sprouts, mustard greens etc) 🥦

- take Beans/legumes 🌱

- Nuts/almonds are good source of Calcium 🥜

- Pay attention to vitamin D : Your body needs vitamin D and K to absorb calcium.  Sunlight also contributes to the body's production of vitamin D. 🌞

- Include physical activity in your daily routine 🏃🏼

- Avoid : Alcohol, Tobacco smoking 🚭🚱

- Avoid Low calories Diet 

- Live a healthy lifestyle 

- Talk to your doctor about your bone health 👨🏻‍⚕️

✔️ Bone health is important at all stages of life. However, having strong bones is something people tend to take for granted, as symptoms often don’t appear until bone loss is advanced.  

🌿 Ayurveda is the answer for such problems as medicines in Ayurveda provide natural Calcium that absorbed in body easily and don't have side effects too.

🤝 🌿 Contact Us for more info, Ayurveda Diagnosis - Consulting and Medication for Bone - Joint problems.


🩺 Dr. Jigar gor ( Ayurveda Consultant ) 

🏥 Shree Madhav Smaranam Ayurveda Clinic

🗺 Narayan Complex, Nr Lohana Samaj Wadi, Navavas, Madhapar, Bhuj-Kutch. GUJ.


📱 Call: 9724157515

💻 www.msayurved.com


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Friday, April 23, 2021

कोरोना महामारी मे कपूर – अजवायन की पोटली कितनी फायदेमंद है ?

कोरोना महामारी के समय मे कपूर – अजवायन पोटली कितनी फायदेमंद है ?

        हररोज एकतरफ कोरोना के संक्रमित दर्दी बढ़ रहे है, तो दूसरी तरफ हर कोई सुरक्षा पाने हेतु नए नए प्रयोग किए जा रहा है । व्हाट्सअप और शोसियल मीडिया की युनिवेर्सिटी मे नए नए उपचारो की खोज होती रहेती है । ऐसे रोगप्रतीकारक शक्ति वर्धक नुस्खे आयुर्वेद के नाम पर हर कोई वीडियो – इमेजिस आदि फॉरवर्ड कर कर के हमारा इनबॉक्स भरता रहेता है । कुछ लोग बिना परख किए ऐसे नुस्खे आजमाते है । और कई बार इनसे फायदा ना होकर तकलीफ बढ़ भी जाती है । आयुर्वेद के कोई भी उपचार आयुर्वेद के क्वालिफाइड डॉक्टरकी सलाह के बाद ही अपनाए यह मेरा खास अनुरोध है ।
        आजकल ऐसा ही एक मेसेज
, हमारे शरीर मे ऑक्सिजन लेवेल को बढ़ाने के लिए आजकल वायरल हुआ है । आइये जानते है की यह अजवायन कपूर पोटली प्रयोग क्या है और यह कितना अक्सीर है ।

social media viral image(@cinnabar_dust)

क्या है कपूर अजवायन पोटली मिश्रण?  :

        अजवायन के साथ कपूर, लॉन्ग के मिश्रण मे नीलगिरी के तैल को मिलाकर उस मिश्रण की पोटली बना ले। उस पोटली को दिन रात सूंघने से हमारे शरीर मे ऑक्सिजन लेवेल बढ़ता है ऐसा दावा आजकल इंटरनेट पर किया जा रहा है ।


क्या है सच कपूर – अजवायन पोटली का
? :

   आयुर्वेद मे कई सारे उड़नशील तैल युक्त वनस्पतियों के औषधि गुणो की  माहिती मिलती है । जिनमे से अजवायन, लॉन्ग, नीलगिरी, पुदीना आदि वनस्पतिया शमाविष्ट हैं । इन वनस्पतियों मे एक विशिष्ट प्रकार का तैल मिलता है । वनस्पति को मसलने से या हल्का गरम करने से उनमे से यह तैल ( जिसे उड़नशील तैल कहते है ) निकलता है । जिसे सूंघने से उनके गुणो के मुताबिक वे हमारी श्वास नलिकाओ को विस्फारित – चौड़ी करते है । यानि की, इन्फेक्शन के दौरान संकुचित हुई श्वासकी नलिका इस तैल को सूंघने के कारण चौड़ी हो जाती है, साथ ही नलिका के रास्ते मे अटका हुआ-जमा हुआ कफ पिघलकर कर हट जाता है और श्वास नलिकाओ की जकड़न दूर हो जाती है , जिससे रुग्ण को सांस लेने मे आसानी हो जाती है । श्वास नलिकाये चौड़ी हो जाने की वजह से ज्यादा ऑक्सिजन युक्त हवा शरीर मे प्रविष्ट होती है । इस तरह हमारे शरीर मे ऑक्सिजन का लेवल बढ़ता है ।

कितना फाइदा करती है अजवायन कपूर की पोटली? :

    यह कपूर-अजवायन की पोटली बनाकर शेक करने और सूंघने की सलाह मैं हमेशा मेरे रुग्ण को देता रहेता हूँ ।  छाती पर शेक करने का यह आयुर्वेद का बहोत पुराना और सटीक इलाज है ।  पोटली स्वेदन नामके पंचकर्म प्रक्रिया का यह एक प्रकार है । 
खास कर छोटे बच्चों मे जब सर्दी - कफ  - जुकाम हो जाता है तब उनके माता पिताको इस पोटली से शेक करने के लिए मैं अक्सर कहेता रहेता हूँ ।सुघने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ता है जिसकी बात हम आगे करेंगे ।
अजवायन ( Pic credit : ayurvedsadhanaa.com )


कैसे बनाए अजवायन – कपूर की पोटली? :

   अजवायन 3-4 चमच और 2-3 लवंग कढ़ाई मे हल्के से शेक ले । 5-6 पत्ते पुदीना के कूटकर भी इसमे डाल सकते है । उसमे 2-4 बूंद नीलगिरी का तैल और थोड़ा सा भीमसेनी कपूर को कूटकर मिला ले । अब इस मिश्रण की पोटली सूती कपड़े से बना ले । अब इस पोटली को हल्के से सूंघते रहे और घहरी सांस लेते रहे ।

पोटली से शेक कैसे करे?:
    
गरम तवे पर आयुर्वेदीय तैल (हमारे क्लीनिक पर उपलब्ध) को गरम कर ले। अच्छी तरह गरम होने पर उसमे यह पोटली को डूबा कर गरम करके उसका शेक छाती और पीठ पर करे ।

अजवायन कपूर की पोटली से क्या क्या लाभ होते है ? :

        पहेले कहा इस तरह से इन औषधीय द्रव्यों के गुण -  प्रभाव से श्वास नलिकाये चौड़ी हो जाने की वजह से ज्यादा ऑक्सिजन युक्त हवा शरीर मे प्रविष्ट होती है
     पोटली से छाती और पीठ पर  शेक करने से / सूंघने से बंद नाक, अस्थमा- सांस फूलना, कफ और खांसी के रुग्ण मे अच्छा लाभ मिलता है । खासकर छोटे बच्चो मे भी यह बहोत लाभकर होता है । इससे फेफड़ो मे संचित कफ का विलयन होता है । और साथ मे डॉक्टर की सलाह के मुताबिक आयुर्वेद की औषधे लेने पर इन रोगों से मुक्ति आसानी से मिलती है ।

    यह पोटली पर्वतारोहक प्रवासी भी सूंघने के लिए इस्तमाल कर सकते है। हिमालया – लद्दाख जैसी ऊंचाई वाली जगह पर, जहां हवा पतली रहती है, वातावरण मे ऑक्सिजन लेवेल कम होता है वहाँ सांस लेने मे थोड़ी तकलीफ हो सकती है । तब यह पोटली सूंघने से श्वास नलिकाए चौड़ी हो जाती है, जिससे ज्यादा हवा फेफड़ो मे जाती है और साँस फूलती नहीं है ।

breathing 


क्या कपूर – अजवायन पोटली सुरक्षित है ?:
    

    कोई भी उपचार सही ढंग तरीके से कीया जाए तो जरूर फायदेमंद रहेता है । लेकिन, रुग्ण की प्रकृति और स्वास्थ्य की अवस्था बिना समजे, और आयुर्वेद के डॉक्टर की सलाह लिए बिना अगर कोई भी उपचार किया जाए तो वो तकलीफदेय हो सकता है । इसके लिए कुछ बात ध्यान रखनी जरूरी है ।

-        कपूर, अजवायन, लॉन्ग, पुदीना या अन्यकोई भी उड़नशील तैली वनस्पतिकी एलर्जि कई लोगो को होती है, तो उनके लिए यह उपचार फायदेमंद नहीं है ।

-        यह खास समजे की जरूरत है की इस उपचार से सीधे सीधे ऑक्सिजन लेवेल नहीं बढ़ता है, किन्तु श्वास नलिकाये विस्फारित होकर उनसे ज्यादा ऑक्सिजन युक्त हवा अंदर जाने से हमारे शरीर मे ऑक्सिजन लेवेल की मात्रा बढ़ती है ।

इसलिए ज्यादा ऑक्सिजन बढ़ाने के लिए इसको इतना भी न सूंघे की आपके नाक और श्वास की नलिकाए ज्यादा इरिटेट होकर जलन पैदा करने लगे ।

भीमसेनी कपूर ( Pic Credit: epuja.co.in )

-       इस पोटली को बनाने मे भीमसेनी कपूर का उपयोग करना है । यह औषधीय प्रकार का कपूर है । कपूर की अलग अलग प्रकार बाज़ार मे उपलब्ध है । पूजा मे इसतमाल होते कपूर रासायनिक प्रक्रिया द्वारा बनाया जाता है जिसमे हानिकारक केमिकल की मात्रा ज्यादा रहेती है जो औषधीय गुणो से बिलकुल विपरीत है । आयुर्वेद की औषधियों मे सिर्फ भीमसेनी कपूर का उपयोग ही किया जाता है । कपूर को चिकित्सक की सलाह लिए बिना उपचार के उपयोग मे नहीं लेना चाहिए ।

-        कपूर को अल्प मात्रा मे उपयोग करने से वह श्वास की नलिकाओ का विस्तार करता है, लेकिन वही ज्यादा मात्र मे वो आकुंचन – तनाव भी कर सकता है ऐसा आयुर्वेद मे वर्णन मिलता है ।

-        कपूर की ज्यादा मात्र से चक्कर आना, उल्टी होना, तंद्रा, ह्रदय की रक्त नलिकाओं पर दबाव, बेहोशी आदि लक्षण देखने मिलते है, इसलिए कपूर का उपयोग अल्प मात्रा मे ही हितावह है ।

-        उपचार लेने से पहेले अपने आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह अवश्य ले ।

-        नीलगिरी के तैल के बारे मे भी यही मत है की वह अल्प मात्र मे ही उपयोग करना अच्छा रहेता है ।

-        अगर कपूर न मिले तो भी, सिर्फ अजवायन लॉन्ग की पोटली बनाकर उसको भी बार बार सूंघनेसे, रुग्ण के स्वास्थ्य एवं प्रकृती के आधार पर उपयोग करने से जरूर लाभकारी होगा है ।

    

        कोरोना महामारी से बचने के लिए, रोग प्रतिकारक शक्ति बढ़ाने के लिए और कोविड संक्रमण के दौरान जल्दी ठीक होने के लिए शुद्ध आयुर्वेद उपचार हेतु आप हमारा संपर्क 97241 57515 पर कर सकते है ।

Thursday, January 21, 2021

कोरोना वेक्सिन : सब कुछ जो आप जानना चाहते है

 कोरोना वेक्सिन : सब कुछ जो आप जानना चाहते है

          करीबन एक साल पहेलाए तक हमने कोरोना का नाम भी नहीं सुना था। लेकिन पिछले एक सालमे बच्चे से लेकर बूढ़े तक हर कोई यह नाम से परिचित था। कोरोना के इन्फेक्शन की वजह से काफी सारे लोग अचानक बीमार पड़ने लगे । सांस की बीमारी, खांसी और बुखार जैसी सामान्य बीमारियाँ जिसके हम कई सालों से आदि थे वे लक्षण जानलेवा बन रहे थे। पूरी दुनिया मे अचानक ही एक डरावना माहोल खड़ा हो गया था । हर कोई बाहर जाने से डरने लगा था और संक्रमित होने का भय मानो दिलोदिमाग पर हावी हो चुका था । कई सारे लोग डर के मारे घर से बाहर नहीं निकाल रहे थे । कोरोना का इन्फेक्शन तो नहीं हुआ लेकिन भय और डर के कारण मानो रुग्ण जरूर बन गए ।

          धीरे धीरे डॉक्टर और वैज्ञानिक  कोरोना के बारे मे और उसके उपचार के बारे सब माहिती बटोरते रहे । यह नए विषाणु के सामने टीका – वेक्सिन बनाने के प्रयास मे पूरी दुनिया जुड़ गयी ।  अब नए साल मे वेक्सिन भी बाज़ार मे आ गयी है । पूरी दुनिया अपनी उम्मीदे वेक्सिन पर लगा बैठा है । इस बीच अखबारों और न्यूज़ चेनल पर कोरोना की वेक्सिन के साइड एफ़ेक्ट्स के बारे मे तरह तरह के न्यूज़ आने लगे है । कोरोना से भी ज्यादा चर्चा आजकल इसके टीके की हो रही है लेकिन इसके ट्रायल के दौरान कुछ साइड एफ़ेक्ट्स की बाते भी छिड़ी थी । यह वेक्सिन सुरक्षित नहीं है ऐसी अफवाओ ने भी काफी ज़ोर पकड़ा हुआ है । इस बीच अब लोग कोरोना से ज्यादा उसकी वेक्सिन को लेकर डर महसूस कर रहे हैं।

          भारत मे भी अब टीकाकरण चालू हो गया ह। ये जब लिख रखा हूँ तब कोरोना-वेक्सिन प्रोग्राम को शुरू हुए करीबन एक सप्ताह होने आया है। अब लोग डर के मारे द्विधा मे हैं । क्लीनिक पर भी आयदिन मेरे पेशंट भी यही बात पूछ रहे हैं की हम वेक्सिन ले या न ले ? अगर वेक्सिन नहीं लेते है तो इन्फ़ैकशन होने का डर है और अगर टीका लेते हैं तो साइड इफैक्ट होने का डर है । एक तरफ खाई और दूसरी और कुंवा जैसा हाल हो रहा है । लेकिन अफवाओं पर और गलत माहिती परा ध्यान नहीं देना चाहिए । आइये वेक्सिन से जुड़े कुछ प्रश्न और उनके उत्तर जानते है , जिसे जानकार आपके सारे संदेह दूर हो जाएंगे ।

1.                टिकाकरण – वेक्सिन  क्या है ?

-         रोगप्रतिकारक बल प्राप्त करने के आयुर्वेद मे तीन प्रकार बताए है : सहज बल, कालकृत बल और युक्तीकृत बल । सहज बल हमे जन्मसे ही मिली हुई शक्ति है । समय / आयु के अनुसार कुछ शक्ति शरीर को मिलती है जिसे कालकृत बल कहेते है । युक्तिप्रयोग से हांसील बल को युक्तीकृत बल कहेंगे । टीका – वेक्सिन यह युक्तीकृत बल का ही एक भाग है । युक्ति पूर्वक शरीर की रोगप्रतीकारक बल हम वेक्सिन के द्वारा बढ़ाते है ।

-         वेक्सिन यह एक जैविक पदार्थो से बना तरल है जो सूक्ष्मजीवों को नष्ट करनेकी क्षमता रखता है । जन्म से लेकर समय समय पर शरीर मे कुछ बीमारियाँ न हो उनके बचाव के लिए, रोग के प्रति रक्षण के हेतु से टीके / वेक्सिन लगाए जाते है । पोलियो , टिटनस, खसरा, हेपटायटीस जैसे टीके हम सभी ने लगाए है । राष्ट्रीय टिकाकरण अन्तरगत हमने पोलियो सहित कई बीमारियोको नाबूद कर दिया है । वेक्सिनसे शरीर की शक्ति उस रोगके लिए बढ़ जाती है और बीमारी की रोकथाम हो सकती है । वेक्सिन न केवल बीमारी को काबू मे रखता है बल्कि बीमारी को फैलने से भी रोकता है ।

कोरोना वेक्सिन 

2.                मानव इतिहास की सबसे पहली वेक्सिन कौनसी थी ?

1796 मे डॉ. एडवर्ड जेनर ने चेचक के टीके का आविष्कार किया था । यह सबसे प्रथम वेक्सिन मनी जाती है । उसके बाद फ्रेच वैज्ञानिक लुई पाश्चर ने रेबीज़ के टीके का आविष्कर किया था । यह वेक्सिन से मेडिकल दुनिया मे मानवता को रोगों के संकट से बचाने का एक नया अध्याय शुरू हुआ था ।

3.                कोरोना वेक्सिन कम समय मे कैसे तैयार हुई ?

जैसे ही कोरोना का प्रकोप दुनिया भर मे बढ़ता गया, देश-विदेश के सारे वैज्ञानिक डॉक्टर वेक्सिन ढूँढने मे लग गए थे । नए जीवाणु की कोशिकाओ के अध्ययन से लेकर, रिसर्च देवलोपमेंट, दुष्परिणाम प्रभाव और ट्रायल तक के कई सारे पहलू इसमे मौजूद होते है । वेक्सिन का निर्माण करना एक जटिल कार्यप्रणाली है । कई टीके को बनाने मे सालों गुज़र गए है । लेकिन कोरोना महामारी के इस दौर मे हमे वेक्सिन की जरूरत भी उतनी ही ज्यादा थी । वैज्ञानिको की अथाग महेनत के परिणाम, एक साल से भी कम समय मे कोरोना की वेक्सिन बन कर तैयार हो गयी है । यह एक बेमिसाल कीर्तिमान से कम नहीं है । लेकिन यह याद रहे की एक साल से भी कम समय मे तैयार हुई यह वेक्सिन मे सभी पहलुओ का ध्यान रखा गया है ।

4.                वेक्सीन कैसे कार्य करती है ?

आयुर्वेद मे कहा गया है की : “विषस्य विषम औषधम ।“

– याने की विष ही विष को मारता है ।

-         वेक्सिन भी यही बात के आधार पर बनती है । सुषुप्त और निरुपद्रवी (आधे मरे ) जीवाणुओ का एक विशिष्ट पद्धति से जैविक तरल तैयार किया जाता है । इस जैविक तरल / वेक्सिन को शरीर मे प्रवेश कराया जाता है ।

-         वेक्सिन के जैविक पदार्थ शरीर मे जाकर शरीर की रोगप्रतीकारक सिस्टम को एक्टिवेट करते है । हमारा शरीर उन जहरीले वायरस – रोगकारक जीवाणु के विष से रक्षण के लिए प्रतिरक्षी कोष ( antibody ) का निर्माण करता है । अगर हमारे शरीर मे यह अंटीबोंडी नामके सैनिक पर्याप्त मात्र मे है तो इन्फ़ैकशन – जीवविष से हमारे शरीर को कुछ नुकसान नहीं होता है ।

-         इस तरह यह अंटीबोंडी द्वारा शरीर की इम्यून सिस्टम सुचारु रूपसे कार्यक्षम हो जाती है । एक सुरक्षा कवच हमारे शरीर को भविष्यमे आनेवाले विषाणुके हमले के खिलाफ अंटीबोंडी नामके सैनिक द्वारा मिलता है।  इस कारण इन्फ़ैकशन के प्रभाव मे शरीर आने पर भी हमारा शरीर उस टॉक्सिन को तुरंत नष्ट कर देता है, और बीमारी हमारे शरीर मे बढ़ती ही नहीं है ।


5.                भारत मे कोरोना वेक्सिन कौनसी है ?

यह जब हम लिख रहे हाँ तब (जनवरी 2021 मे ) भारत सरकार द्वारा कोरोना के 2 कंपनी के टीके जारी किए गए है । जिनका नाम कोविशील्ड (Covishield) और कोवेक्सीन (Covaxin) है।

यह दोनों टीको मे से कोई एक ले सकते है । यह स्नायु के इंजेक्शन (intramascualr) के रूप मे दो खुराक मे दी जाती है । पहेले डॉस की मात्र 0.5 ml है । दूसरा डॉस 28 दिनोके बाद दिया जाता है ।

लेबॉरेटरी 

6.                कोरोना वेक्सिन से क्या साइड एफेक्ट का खतरा है ?

-         वेक्सिन लेने से हर किसी को उसके दुष्प्रभाव दिखाई दे यह मुमकिन नहीं है । ICMR ( Indian Medical Research Council) के मुताबिक कुछ को हल्के से साइड एफेक्ट होनी की संभावना रहती है ।

-         आंकड़ो के मुताबिक 18 जनवरी तक 4,81000 लोगों को कोरोना वेक्सिन दिया गया है और उनमे से सिर्फ सिर्फ 580 लोगो मे याने की करीबन 0.2% लोगों को साइड इफैक्ट देखने मिले है । ये साइड इफ़ेक्ट्स हल्का बुखार, गले की खराश जैसे मामूली से लक्षण है जो अपने आप चले भी गए है । करोना वेक्सिन भी सारे ट्रायल और रिसर्च के परीक्षणों से गुज़रने के बाद ही हमारे सामने आई है । इसलिए कोरोना वेक्सिन का टीका लेना सुरक्षित है। साइड एफेक्ट की अफवाओ पर ध्यान न दे।

7.                कोरोना वेक्सिन के साइड एफफ़ेक्ट्स क्यूँ दिख रहे है ?

-         कोरोना की वेक्सिन हो या और कोई दूसरी, वेक्सिन के टीके दिये जाने पर अनपेक्षित परेशानीयुक्त लक्षण - साइड एफेक्ट की संभावना रहेती ही है । इसे मेडिकल की भाषा मे Adverse Effects Following Immunization (AEFI) कहा जाता है । यह लक्षण / साइड एफेक्ट मामूली , गभीर या अतिगंभीर हो सकते है ।

-         यह AEFI के लिए मेडिकल – प्रोटोकॉल तय किए जाते है । जिसके जुड़े हर गंभीर संभावनाओ पर सायंटिफिक विचार और उसके हल का उपाय भी तैयार किया जाता है । कोरोना की विक्सिन के लिए भी यह प्रावधान किया गया है । जिसके अंतर्गत टिककरण केंद्र पर मौजूद डॉक्टर और स्टाफ को उसके बारे मे प्रशिक्षण दिया जाता है । यह प्रोटोकॉल के अंतर्गत टीका देने के बाद व्यक्ति को कुछ मिनिट केंद्र पर ही रुकने के लिए कहा जाता है जिससे दुष्प्रभाव के लक्षण का परीक्षण किया जा सके ।

-         घर पर जाने के बाद अगर कोई तकलीफ हो तो वे डॉक्टर / हेल्थ वर्कर से संपर्क कर पाये इसलिए टीका लेने वाले व्यक्ति को आपातकालीन नंबर और टीके की माहिती का कार्ड भी प्रदान किया जाएगा ।

कोरोना वेक्सिन 

8.                कोरोना वेक्सिन कौन ले सकता है ?

-        कोरोना वेक्सिन 18 साल से बड़े उम्र के लोग ले सकते है । कोरोना वेक्सिन 18 साल के कम उम्र के लोगो को नहीं देनी है ।

-        गर्भवती महिलाएं, शिशु को स्तनपान करती महिलाओं को यह वेक्सिन नहीं लेनी है ।

-        जो व्यक्ति के रेपोर्ट्स कोविड पॉज़िटिव आए है उन्हे नहीं लेनी है । किन्तु जो लोग कोरोना के इन्फ़ैकशन से सम्पूर्ण ठीक हो गए हैं वे कोरोना वेक्सिन ले सकते है ।

-        कोरोना संक्रमित रुग्ण जिनहोने हाल मे ही अंटीबोंडी / प्लाज़्मा थेरेपी ली हो वे नहीं ले सकते है ।

-        और कोई बीमारी के कारण से अगर आपकी कोई ट्रीटमेंट चालू हो या आप हॉस्पिटल मे बहरती हुए हो तो यह कोरोना वेक्सिन अभी न ले ।

-        किडनी – ह्रदय की बीमारिया, केन्सर, फेफड़ों की तकलीफ से ग्रस्त दर्दी उनके डॉक्टर से परामर्श के बाद ही कोरोना की वेक्सिन ले ।

-        पहेले कोई दूसरे टीके से या इंजेक्शन लेने पर, या कोई ड्वाइयों से अगर रिएक्शन हुआ हो तो उन्हे पहेले उनके डॉक्टर से परामर्श लेना उचित होगा ।

9.                कोविन एप ( Co-Win App ) क्या है ?

-        कोविन एप के जरिये भारत के लोग अपना आवेदन का पाएंगे ।

-        कोविन एप ( Co-Win App ) यह “कोविड – 19 वेक्सीनेशन” के कार्यक्रम का डिजिटल प्लैटफ़ार्म  है । इस एप के माध्यम से टिकाकरण की माहिती का रेकॉर्ड – डेटाबेस रखा जाएगा ।

-        फिलहाल यह ऐप्लीकेशन किसी भी एप – स्टोर पर उपलब्ध नहीं है । अभी शुरू के दौर मे स्वास्थ्यकर्मी और फ्रंटलाइन वर्कर्स के टिकाकरण के बाद आम लोगो के लिए पंजीकरण के लिए उपलब्ध होगी ।

-        यह एप पर एक बार सेल्फ रजिस्ट्रेशन करने के बाद आपके मोबाइल नंबर पर पंजीकरण स्वीकृति की जानकारी दी जाएगी । और उसके बाद वेक्सिन देने की जगह, तारीख, और समय आदि की जानकारी मिलेगी ।

-        भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जानकारी दी गई है की इस एप के नकली वर्जन मार्केट मे दिख रहे है जिसे डाउनलोड न करे । Co-Win App जल्द ही लौंच होगा और उसकी आधिकारिक जानकारी भी दी जाएगी ।

मास्क पहेने 

10.          क्या कोरोना वेक्सिन लेने के बाद भी मास्क पहेनना पड़ेगा ?

-        कोरोना वेक्सिन लेने के बाद 7-15 दिनों मे वेक्सिन प्रभावी रूप से शरीर मे कार्य करने लगती है । वेक्सिन के ट्रायल के अनुसार यह 65-80% तक प्रभावी रूप दिखा पाएगी । इसलिए इन्फ़ैकशन होने के कुछ मौके बचते है यह निश्चित है ।

-        इसके अलवा भी कई सारे लोग टीके लगाने का इंतज़ार कर रहे है और वे जब तक इम्यून नहीं होते तब तक संक्रमण फ़ेला सकते है ।

-        भारत मे मिलने वाली वेक्सिन के बॉक्स पर “ सर्वे संतु निरामय : ।“ (सभी लोग रोग मुक्त हो) एसा लिखा है । कोरोना की यह महामारी के नाश के लिए हम सभी को जागृत बनना होगा । कोरोना महामारी से बोधपाठ लेकर आगे के भविष्य के लिए हमे क्या क्या सुधार करने चाहिए इस बात की चर्चा मैंने इससे पहेले के आर्टिकल मे की है, अगर आप चाहे तो वो यहा पढ़ सकते है: http://www.msayurved.com/2021/01/blog-post.html

-        इसलिए जितना हम चाहते है उतनी जल्दी मास्क या सेनीटाइजर से छुटकारा नहीं मिलेगा । खुद को सुरक्षित रखने के लिए मास्क का उपयोग जरूर करे, सोशियल डिस्टन्स बनाए रखे और सेनेटाइज़र का योग्य उपयोग करके स्वछता बनाए रखे । टीका सिर्फ बीमारी को रोकने के लिए है । हर्ड-इम्युनिटी द्वारा ही हम हमारी शक्ति कोरोना के खिलाफ बढ़ा पाएंगे और खुद को सुरक्षित कर पाएंगे ।

मास्टर स्ट्रोक : आज, जब हमने अपना वैक्सीन विकसित किया है, तो दुनिया भारत की ओर आशा से देख रही है। जैसे-जैसे हमारा टीकाकरण अभियान आगे बढ़ेगा, दुनिया के अन्य देश इससे लाभान्वित होंगे। भारत की वैक्सीन और हमारी उत्पादन क्षमता का मानव हित के लिए उपयोग किया जाना चाहिए, यह हमारी प्रतिबद्धता है।-माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी

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