आयुर्वेद द्वारा डायबिटीज़ उपचार :
डायबिटीज (Diabetes) एक आजीवन रहने वाली बीमारी है। यह एक मेटाबॉलिक डिसॉर्डर है, जिसमें मरीज़ के शरीर के रक्त में ग्लूकोज़ का स्तर बहुत अधिक होता है। इसे आयुर्वेद में मधुमेह भी कहते हैं।
डायबिटीज क्या है?
हम जो भोजन करते हैं उससे, शरीर को ग्लूकोज प्राप्त होता है जिसे कोशिकाएं शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में उपयोग करती हैं।
यदि शरीर में इंसुलिन मौजूद नहीं होता है तो वे अपना काम सही तरीके से नहीं कर पाती हैं और ब्लड से कोशिकाओं को ग्लूकोज नहीं पहुंचा पाती हैं। जिसके कारण ग्लूकोज ब्लड में ही इकट्ठा हो जाता है और ब्लड में अतिरिक्त ग्लूकोज के स्तर को डायबिटीज़ कहते है। रक्त में ज्यादा प्रमाण में शर्करा ( ग्लूकोज ) से गंभीर तकलीफ हो सकती हैं।
डायबिटीज़ में इन्सुलिन का महत्त्व -
कार्बोहाइड्रेट हमारे भोजन का अभिन्न हिस्सा है। हम जब कार्बोहाइड्रेट खाते हैं, वो पेट में जाकर ऊर्जा में बदलता है जिसे ग्लूकोज़ कहते हैं।
इस ग्लूकोज को हमारे शरीर में मौजूद लाखों कोशिकाओं के अंदर पहुँचना होता है ताकि हमारी कोशिका ग्लूकोज को जला कर शरीर को उर्जा पहुँचाएं। ये काम तभी संभव है जब हमारे अग्न्याशय ( पैनक्रियाज ) पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन उत्पन्न करें। इंसुलिन एक हार्मोन है जो आपके शरीर में कार्बोहाइड्रेट और वसा के चयापचय को नियंत्रित करता है।
बिना इंसुलिन के ग्लूकोज़ कोशिकाओ में प्रवेश नहीं कर सकता है और रक्त वाहिकाओं में एकत्रित हो जाता है। ऐसे में व्यक्ति को वो शक्ति नहीं मिल पाती जो उसे चाहिए और व्यक्ति व्यक्ति मधुमेह से ग्रस्त हो जाता है।
डायबिटीज़ के प्रकार कितने हैं ?
डायबिटीज़ 3 प्रकार का होता है-
1. टाइप-1 डायबिटीज
2. टाइप-2 डायबिटीज और
3. जेस्टेशनल डायबिटीज ( जो कि प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली हाई ब्लड शुगर की समस्या है।)
डायबिटीज के कारण क्या हैं ?जब शरीर सही तरीके से रक्त में मौजूद ग्लूकोज़ या शुगर का उपयोग नहीं कर पाता। तब, व्यक्ति को डायबिटीज़ की समस्या हो जाती है। आमतौर पर डायबिटीज के मुख्य कारण ये स्थितियां हो सकती हैं-
- इंसुलिन की कमी
- परिवार में किसी व्यक्ति को डायबिटीज़ होना
- बढ़ती उम्र
- हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल
- एक्सरसाइज ना करने की आदत
- हार्मोन्स का असंतुलन
- हाई ब्लड प्रेशर
- खान-पान की ग़लत आदतें
डायबिटीज़ के लक्षण क्या हैं ?
पीड़ित व्यक्ति के शरीर में बढ़े हुए ब्लड शुगर के अनुसार उसमें डायबिटीज़ के लक्षण दिखाई देते हैं। ज्यादातर मामलों में अगर व्यक्ति प्री डायबिटीज या टाइप-2 डायबिटीज का से पीड़ित हो तो, समस्या की शुरूआत में लक्षण दिखाई नहीं पड़ते। लेकिन, टाइप-1 डायबिटीज के मरीज़ों में डायबिटीज़ लक्षण बहुत तेजी से प्रकट होते हैं और ये काफी गंभीर भी होते हैं।
जब खून में शुगर लेवल कम हो तब इसके शुरुआती लक्षण क्या हो सकते है ?
- बेचैनी
- कपकपी
- ज्यादा भूख लगना
- पसीना आना
कुछ गंभीर केसेस में ये लक्षण भी आ सकते है :-
- बेहोशी
- दौरा पड़ सकता
- व्यवहारिक बदलाव
शुगर लेवल कम होना आम तौर पर डायबिटीज टाइप-1 और टाइप-2 से जूझ रहे मरीज़ो में होता है। इसमें ज्यादातर मामले हलके और सामान्य होते है, इमरजेंसी वाले नहीं होते।
टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के मुख्य लक्षण क्या हैं?
- यूरिन का बढ़ना - किडनी खून में मौजूद ज्यादा शुगर को फ़िल्टर करने में सक्षम नहीं होती इसलिए इसे (अतिरिक्त शुगर) निकलने का एक मात्र तरीका यूरिन के रास्ते है।
- प्यास ज्यादा लगना - यूरिन ज्यादा आने के कारण, शरीर में पानी की कमी से प्यास ज्यादा लगती है जिस से हम बार - बार प्यासा महसूस करते है; ज्यादा प्यास लगना डायबिटीज टाइप-2 के लक्षण है।
- भूख का बढ़ना - डायबिटीज में इंसुलिन के कमी या प्रतिरोध के कारण, खाया हुआ खाना को शरीर एनर्जी में बदल नहीं पाता, जिस के कारण हम अक्सर भूखा महसूस करते है।
- वजन कम होना (weight loss) - डायबिटीज में अपर्याप्त इंसुलिन उत्पादन के कारण शरीर खून से ग्लूकोज को बॉडी सेल में पहुंचा नहीं पाता एनर्जी के तौर पर इस्तेमाल के लिए जिसके कारण शरीर फैट और मांसपेशियों को बर्न करने लगता है एनर्जी लिए जिसके वजन कम होने लगता है।
- घाव या चोट का धीरे भरना - खून में शुगर का लेवल बढ़ने के कारण ऐसा होता है। डायबिटीज टाइप-2 मरीज़ो में ऐसा लक्षण देखने को मिलते है।
- इसके अलावा थकान, सिर दर्द, धुंधलापन दिखना, रेकर्रेंट संक्रमण (इम्युनिटी सिस्टम का कमज़ोर होना), प्राइवेट पार्ट में दिक्कत और दिल की धड़कन तेज डायबिटीज का शुरूआती लक्षण है।
इनमे से कोई भी एक लक्षण या एक ज्यादा लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें अन्यथा बाद में परेशानी बढ़ सकती है।
डायबिटीज़ के साइड इफेक्ट्स क्या है?
- आँखों पर बुरा प्रभाव - लम्बे समय तक हाई ब्लड ग्लूकोज़ के कारण होने के कारण आँखों के लेंस में अवशोषण हो सकता जो इसके साइज और नज़र में बदलाव लाता है ।
- डायबिटिक डर्माड्रोम (Diabetic dermadromes) - मधुमेह के कारण होने वाले त्वचा पर चकत्ते का एक सामूहिक नाम है।
- डायबिटीज कीटोएसिडोसिस - इसका मतलब की मेटाबोलिक प्रोसेस में गड़बड़ी जिसके कारण उलटी, पेट दर्द, घबराहट, गहरी सांस, थोड़ी बेहोशी जैसी स्थिति होती है। जो लोग डायबिटीज टाइप-1 से जूझ रहे वो इसे अनुभव करते है।
- पेरीफेरल डायबिटिक न्यूरोपैथी - ये खून में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने के कारण होता है जिस से नशों को नुकसान पहुँचता है। पैरो में सुई चुभने जैसा झनझनाहट होता है या चलने पर परेशानी होता है।
- डायबिटिक रेटिनोपैथी - डायबिटीज के कारण आँख पर बुरा प्रभाव पड़ता है। रेटिना के अंदर स्थित ब्लड वेसल को डैमेज कर देता है, जिसके कारण ब्लाइंडनेस भी हो सकता है।
- मानसिक स्वास्थ्य - डायबिटीज टाइप-2 के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डालता है जिसके कारण वो इंसान डिप्रेशन, और एंग्जाइटी का शिकार हो जाता है। मानसिक संतुलन के लिए ज़रूरी है की खून में शुगर लेवल की मात्रा सही हो।
- ह्यपरसोमोलर नॉन-केटोटिक - ये स्थिति सामान्य डायबिटीज टाइप-2 के मरीज़ में देखा जाता है। ये पानी के कमी (dehydration) के कारण होता है , इसलिए डायबिटीज में पानी की कमी शरीर में बिलकुल न होने दे, इसके कमी के कारण कई और दूसरी बीमारी को जगह मिल सकती है।
डायबिटीज़ का उपचार क्या है ? टाइप-1 डायबिटीज का कोई स्थायी उपचार नहीं है इसीलिए, व्यक्ति को पूरी ज़िंदगी टाइप-1 डायबिटीज का मरीज़ बनकर रहना पड़ता है। ऐसे लोगों को इंसुलिन लेना पड़ता है जिसकी मदद से वे अपनी स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं।
लेकिन, टाइप-2 डायबिटीज के लक्षणों से बिना किसी दवा के प्रतिदिन एक्सरसाइज, संतुलित भोजन, समय पर नाश्ता और वजन को नियंत्रित करके छुटकारा पाया जा सकता है। सही डायट की मदद से टाइप-2 डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद करता है।
डायबिटीज से बचाव के उपाय क्या हैं?
डायबिटीज़ एक गंभीर बीमारी है जिससे, आपको आजीवन परेशानियां हो सकती हैं। डायबिटीज़ से पीड़ित व्यक्ति को स्वास्थ्य से जुड़ी कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं। लेकिन, कुछ सावधानियां बरतकर और जीवनशैली में कुछ परिवर्तन लेकर डायबिटीज की बीमारी से बचा जा सकता है। जैसे:
1. स्वस्थ आहार लें और सही वजन बनाए रखें: एक स्वस्थ आहार होता है जिसमें पर्याप्त मात्रा में फल, सब्जियां, साबुत अनाज और फलियां हों, साथ ही साथ इसमें सैचुरेटेड फैट की मात्रा भी कम होनी चाहिए।
2. शारीरिक गतिविधि: नियमित रूप से व्यायाम करना आपको डायबिटीज से बचा सकता है और जिन लोगों को पहले से ही डायबिटीज है, उन्हें शुगर का स्तर नियंत्रित करने में भी मदद कर सकता है।
अगर आपको टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज है, तो आप इन उपचारों के अलावा निम्नलिखित उपाय भी कर सकते हैं - साल में एक बार शरीर की और आंख की जांच अवश्य कराएं। आपके डॉक्टर रेटिना, मोतियाबिंद और ग्लूकोमा की जांच करेंगे।
3. तनाव न लें : ज्यादा तनाव लेने से आपका शरीर जो हॉर्मोन बनाता है, वे हॉर्मोन इन्सुलिन को सही से काम नहीं करने देते। इसके कारण खून में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है और आपको ज्यादा तनाव होने लगता है। इसके लिए आराम देने वाली तकनीकों की सहायता लें और पर्याप्त नींद लेने का प्रयास करें।
4. अपने पांव को हलके गुनगुने पानी से रोजाना धोएं और पांव से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
5. शराब न पिएं और अगर पीते हैं, तो इस आदत को छोड़ने का प्रयास करें।
6. अपने ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखें।
7. तंबाखू निषेध : अगर आप धूम्रपान करते हैं या किसी अन्य प्रकार के तम्बाकू का सेवन करते हैं, तो तुरंत छोड़ने का प्रयास करें।
8. ओरल हाइजीन: डायबिटीज के कारण आपको गंभीर मसूड़ों के इन्फेक्शन हो सकते हैं। अगर आपको लगता है कि आपके मसूड़े लाल हो रहे हैं या सूज रहे हैं, तो तुरंत अपने डेंटिस्ट के पास जाएं।
आयुर्वेद डायबिटीज़ में कैसे उपयोगी होगा ?
- सभी डायबिटीज़ के प्रकार में आयुर्वेद द्वारा किए गए उपचार फायदेमंद होते हैं।
- कुछ रुग्ण में जब मधुमेह शुरुआती स्टेज पर होता है तब आयुर्वेद उपचार से पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।
- अगर डायबिटीज़ टाइप-1 है या टाइप-2 डायबिटीज बहुत सालों से है तो ऐसी अवस्था में आयुर्वेद उपचार द्वारा अनकंट्रोल सुगर को उसके सामान्य स्तर पर लाने के लिए आयुर्वेद उपचार उपयोगी होते है!
- सभी डायबिटीज़ के केसेस में ज्यादा शर्करा की वजह से आंखे/ लीवर/ किडनी / त्वचा आदि पर होने वाले गंभीर परिणाम - साइड इफेक्ट्स को ठीक करने के लिए आयुर्वेद चिकित्सा उत्तम और फायदेमंद है!
- आयुर्वेद चिकित्सा एक्सपर्ट एवं डिग्री धारक आयुर्वेद डॉक्टर से ही करवाना उचित होगा!
- आजकल इंटरनेट पर आयदिन नए नए नुस्खे और उपचार मोबाइल में फॉरवर्ड होते रहते हैं । इसके अलावा भी टीवी/ समाचारपत्र आदि में दवाइयों का एडवरटाइजिंग होता रहेता है । इन दवाइयों का बिना किसी डॉक्टर के सलाह किया हुआ सेवन कभी कभी फायदा तो नहीं देता लेकिन साइड इफेक्ट्स जरूर आ सकते है। यह घरेलू नुस्खे या कोई भी आयुर्वेद दवाइयों का आयुर्वेद के डॉक्टर की सलाह बिना इस्तमाल नहीं करना चाहिए!
- आयुर्वेद डॉक्टर द्वारा सही निदान करवाके उचित दवाइयों का नियमित सेवन करें, उनके द्वारा दी गई खानपान की सलाह का रूटीन में सही ढंग से पालन करे. और डाक्टर को समय समय पर फॉलो-अप दे, जिससे आपके डायबिटीज़ का सही उपचार हो पाए ।
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🩺 डॉ. जिगर गोर ( आयुर्वेद विशेषज्ञ )
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