Tuesday, April 19, 2022

लीवर ( यकृत ) को स्वस्थ कैसे रखें ?

 लीवर ( यकृत ) को स्वस्थ कैसे रखें ?

लीवर ( यकृत )  से संबंधित बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हर 19 अप्रैल को "विश्व लीवर दिवस" मनाया जाता है।


आयुर्वेद में, यकृत को शरीर का इंजन कहा जाता है, शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक घटकों का पाचन, चयापचय की क्रिया और रक्त निर्माण में इसकी कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ होती हैं।

लीवर के कार्य:

लीवर शरीर का सबसे बड़ा ठोस अंग है। लीवर एक आवश्यक अंग है जो एक रिसर्च के मुताबिक शरीर के 500 से भी अधिक महत्वपूर्ण कार्य करता है। इसमे शामिल है :

- रक्तप्रवाह से विषेले उत्पादों और बाह्य पदार्थों ( forensic partical) को निकालना 

- शरीर में "डी-टॉक्सिफिकेशन" = शरीर की सफाई का महत्वपूर्ण कार्य निभाना

-रक्त शर्करा के स्तर को नियमित करना

- प्रोटीन का संश्लेषण 

- महत्वपूर्ण एंजाइम और हार्मोन पैदा करना

- भोजन के पोषक तत्वों को पचाना और चयापचय करना

- लाल रक्त कोशिकाओं ( red blood cells )का निर्माण

- आवश्यक पोषक तत्वों का निर्माण....आदि...

लीवर को स्वस्थ कैसे रखें ?:

वैसे, सबसे अच्छी बात यह है कि लीवर खुद को ठीक करना सही से जानता है - हमें बस उसे उचित सहारा देना है जिससे हमारा स्वास्थ्य बना रहे।


लीवर की बीमारी से बचने का सबसे अच्छा तरीका स्वस्थ जीवन की दिशा में सक्रिय कदम उठाना है। 

निम्नलिखित कुछ हेल्थ टिप्स हैं जो लीवर को ठीक उसी तरह काम करने में मदद करेंगी:

- नमकीन, खट्टा और तीखा (मसालेदार) स्वाद को कम करते हुए मीठे, कड़वे और कसैले स्वाद पर जोर दें।

- कड़वा स्वाद विशेष रूप से लीवर के लिए सहायक होता है क्योंकि यह प्रकृति में ठंडा और सफाई करने वाला होता है।

- मनोरंजक या नुस्खे वाली दवाओं, शराब, या तंबाकू आदि सभी उत्तेजित पदार्थो का सेवन बंद करें ।

- लीवर को सही मायने में आराम देने के लिए: रिफाइंड शुगर, तेल और वसा का सेवन कम से कम करना सबसे अच्छा है ।

- अपने भोजन में ठंडा करने वाले, पित्त को संतुलित करने वाले मसाले और गार्निश जैसे पिसा हुआ धनिया, ताजा सीताफल, सौंफ, जीरा, हल्दी, पुदीना और नींबू या नीबू का रस चुनें।

- हररोज निश्चित समय पर  भोजन करने की कोशिश करें, सूरज के साथ या उससे पहले भी उठें, और रात में सोने के समय भी तय रखें। 

- सुबह या शाम को नियमित रूप से व्यायाम करें।

- भावनात्मक संतुलन बनाए रखे: क्रोध, ईर्ष्या, चिड़चिड़ापन जैसी भावनाओं पर नियंत्रण रखने की कोशिश करें। क्योंकि हमारी मानसिक भावनाओं का सीधा असर हमारे लीवर पर पड़ता है। लीवर के बेहतर स्वास्थ्य के लिए अपनी भावनाओं को संतुलित करें। सकारात्मक सोच रखे और तनाव से मुक्ति पाएं। 

- भोजन लेते वक्त भी अन्य बातों का विचार ना करते हुए सिर्फ भोजन पर ध्यान कंद्रित करे। भोजन लेते वक्त मन को शांत और स्थिर करे ।

- ध्यान, प्राणायाम और योग का नियमित अभ्यास लीवर के लिए फायदेमंद होता है।

- आयुर्वेद में कई जड़ी-बूटियां पित्त को संतुलित करने, संचित गर्मी को दूर करने, रक्त को साफ करने, पित्त के प्रवाह को प्रोत्साहित करने और लीवर को डिटॉक्सीफाई करने में बहुत प्रभावी हैं। हमने हमारे आयुर्वेद सेंटर पर लीवर से जुड़ी कई समस्याओं का निराकरण किया है! 

याद रखें, आयुर्वेद के प्राथमिक सिद्धांतों में से एक यह है कि हमें व्यक्तियों का इलाज करना चाहिए-उनके लक्षणों का नहीं। लीवर के स्वास्थ्य को ठीक करने के लिए भी निदान करना आवश्यक है तभी सही उपचार हो सकता है।

इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श लें। योग्य आयुर्वेद चिकित्सक आपको आपके लीवर के स्वास्थ्य के लिए अच्छी दवाएं दे पाएंगे।




आयुर्वेद परामर्श- कंसल्टिंग, निदान और चिकित्सा के लिए आप हमारा संपर्क दिए गए नंबर पर फोन कर के कर सकते है। 

Thursday, March 31, 2022

आयुर्वेद द्वारा डायबिटीज़ उपचार

आयुर्वेद द्वारा डायबिटीज़ उपचार :

    डायबिटीज (Diabetes) एक आजीवन रहने वाली बीमारी है। यह एक मेटाबॉलिक डिसॉर्डर है, जिसमें मरीज़ के शरीर के रक्त में ग्लूकोज़ का स्तर बहुत अधिक होता है। इसे आयुर्वेद में मधुमेह भी कहते हैं।

डायबिटीज क्या है? 

हम जो भोजन करते हैं उससे, शरीर को ग्लूकोज प्राप्त होता है जिसे कोशिकाएं शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में उपयोग करती हैं। 

यदि शरीर में इंसुलिन मौजूद नहीं होता है तो वे अपना काम सही तरीके से नहीं कर पाती हैं और  ब्लड से कोशिकाओं को ग्लूकोज नहीं पहुंचा पाती हैं। जिसके कारण ग्लूकोज ब्लड में ही इकट्ठा हो जाता है और ब्लड में अतिरिक्त ग्लूकोज के स्तर को डायबिटीज़ कहते है। रक्त में ज्यादा प्रमाण में शर्करा ( ग्लूकोज ) से गंभीर तकलीफ हो सकती हैं।

डायबिटीज़ में इन्सुलिन का महत्त्व - 

कार्बोहाइड्रेट हमारे भोजन का अभिन्न हिस्सा है। हम जब कार्बोहाइड्रेट खाते हैं, वो पेट में जाकर ऊर्जा में बदलता है जिसे ग्लूकोज़ कहते हैं।

इस ग्लूकोज को हमारे शरीर में मौजूद लाखों कोशिकाओं के अंदर पहुँचना होता है ताकि हमारी कोशिका ग्लूकोज को जला कर शरीर को उर्जा पहुँचाएं। ये काम तभी संभव है जब हमारे अग्न्याशय ( पैनक्रियाज ) पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन उत्पन्न करें। इंसुलिन एक हार्मोन है जो आपके शरीर में कार्बोहाइड्रेट और वसा के चयापचय को नियंत्रित करता है।

बिना इंसुलिन के ग्लूकोज़ कोशिकाओ में प्रवेश नहीं कर सकता है और रक्त वाहिकाओं में एकत्रित हो जाता है। ऐसे में व्यक्ति को वो शक्ति नहीं मिल पाती जो उसे चाहिए और व्यक्ति व्यक्ति मधुमेह से ग्रस्त हो जाता है।

डायबिटीज़ के प्रकार कितने हैं ?

डायबिटीज़ 3 प्रकार का होता है-

1. टाइप-1 डायबिटीज

2. टाइप-2 डायबिटीज और

3. जेस्टेशनल डायबिटीज ( जो कि प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली हाई ब्लड शुगर की समस्या है।)

डायबिटीज के कारण क्या हैं ?

जब शरीर सही तरीके से रक्त में मौजूद ग्लूकोज़ या शुगर का उपयोग नहीं कर पाता। तब, व्यक्ति को डायबिटीज़ की समस्या हो जाती है। आमतौर पर डायबिटीज के मुख्य कारण ये स्थितियां हो सकती हैं-

  • इंसुलिन की कमी
  • परिवार में किसी व्यक्ति को डायबिटीज़ होना
  • बढ़ती उम्र
  • हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल
  • एक्सरसाइज ना करने की आदत
  • हार्मोन्स का असंतुलन
  • हाई ब्लड प्रेशर
  • खान-पान की ग़लत आदतें


डायबिटीज़ के लक्षण क्या हैं ?

पीड़ित व्यक्ति के शरीर में बढ़े हुए ब्लड शुगर के अनुसार उसमें डायबिटीज़ के लक्षण दिखाई देते हैं। ज्यादातर मामलों में अगर व्यक्ति प्री डायबिटीज  या टाइप-2 डायबिटीज का से पीड़ित हो तो, समस्या की शुरूआत में लक्षण दिखाई नहीं पड़ते। लेकिन, टाइप-1 डायबिटीज के मरीज़ों में डायबिटीज़ लक्षण बहुत तेजी से प्रकट होते हैं और ये काफी गंभीर भी होते हैं। 

जब खून में शुगर लेवल कम हो तब इसके शुरुआती लक्षण क्या हो सकते है ?

  • बेचैनी
  • कपकपी 
  • ज्यादा भूख लगना 
  • पसीना आना 

कुछ गंभीर केसेस में ये लक्षण भी आ सकते है :-

  • बेहोशी 
  • दौरा पड़ सकता
  • व्यवहारिक बदलाव 

शुगर लेवल कम होना आम तौर पर डायबिटीज टाइप-1 और टाइप-2 से जूझ रहे मरीज़ो में होता है। इसमें ज्यादातर मामले हलके और सामान्य होते है, इमरजेंसी वाले नहीं होते। 

टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के मुख्य लक्षण क्या हैं?

- यूरिन का बढ़ना - किडनी खून में मौजूद ज्यादा शुगर को फ़िल्टर करने में सक्षम नहीं होती इसलिए इसे (अतिरिक्त शुगर) निकलने का एक मात्र तरीका यूरिन के रास्ते है। 

- प्यास ज्यादा लगना - यूरिन ज्यादा आने के कारण, शरीर में पानी की कमी से प्यास ज्यादा लगती है जिस से हम बार - बार प्यासा महसूस करते है; ज्यादा प्यास लगना डायबिटीज टाइप-2 के लक्षण है।

- भूख का बढ़ना - डायबिटीज में इंसुलिन के कमी या प्रतिरोध के कारण, खाया हुआ खाना को शरीर एनर्जी में बदल नहीं पाता, जिस के कारण हम अक्सर भूखा महसूस करते है।

- वजन कम होना (weight loss) - डायबिटीज में अपर्याप्त इंसुलिन उत्पादन के कारण शरीर खून से ग्लूकोज को बॉडी सेल में पहुंचा नहीं पाता एनर्जी के तौर पर इस्तेमाल के लिए जिसके कारण शरीर फैट और मांसपेशियों को बर्न करने लगता है एनर्जी  लिए जिसके वजन कम होने लगता है। 

- घाव या चोट का धीरे भरना - खून में शुगर का लेवल बढ़ने के कारण ऐसा होता है। डायबिटीज टाइप-2 मरीज़ो में ऐसा लक्षण देखने को मिलते है।   

- इसके अलावा थकान, सिर दर्द, धुंधलापन दिखना, रेकर्रेंट संक्रमण (इम्युनिटी सिस्टम का कमज़ोर होना), प्राइवेट पार्ट में दिक्कत और दिल की धड़कन तेज डायबिटीज का शुरूआती लक्षण है। 

  इनमे से कोई भी एक लक्षण या एक ज्यादा लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें अन्यथा बाद में परेशानी बढ़ सकती है।    

डायबिटीज़ के साइड इफेक्ट्स क्या है?

- आँखों पर बुरा प्रभाव -  लम्बे समय तक हाई ब्लड ग्लूकोज़ के कारण होने के कारण आँखों के लेंस में अवशोषण हो सकता जो इसके साइज और नज़र में बदलाव लाता है । 

- डायबिटिक डर्माड्रोम (Diabetic dermadromes) - मधुमेह के कारण होने वाले त्वचा पर चकत्ते का एक सामूहिक नाम है। 

- डायबिटीज कीटोएसिडोसिस -  इसका मतलब की मेटाबोलिक प्रोसेस में गड़बड़ी जिसके कारण उलटी, पेट दर्द, घबराहट, गहरी सांस, थोड़ी बेहोशी जैसी स्थिति होती है। जो लोग डायबिटीज टाइप-1 से जूझ रहे वो इसे अनुभव करते है। 

- पेरीफेरल डायबिटिक न्यूरोपैथी - ये खून में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने के कारण होता है जिस से नशों को नुकसान पहुँचता है। पैरो में सुई चुभने जैसा झनझनाहट होता है या चलने पर परेशानी होता है।  

- डायबिटिक रेटिनोपैथी - डायबिटीज के कारण आँख पर बुरा प्रभाव पड़ता है। रेटिना के अंदर स्थित ब्लड वेसल को डैमेज कर देता है, जिसके कारण ब्लाइंडनेस भी हो सकता है।

- मानसिक स्वास्थ्यडायबिटीज टाइप-2 के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डालता है जिसके कारण वो इंसान डिप्रेशन, और एंग्जाइटी का शिकार हो जाता है। मानसिक संतुलन के लिए ज़रूरी है की खून में शुगर लेवल की मात्रा सही हो। 

- ह्यपरसोमोलर नॉन-केटोटिक - ये स्थिति सामान्य डायबिटीज टाइप-2 के मरीज़ में देखा जाता है। ये पानी के कमी (dehydration) के कारण होता है , इसलिए डायबिटीज में पानी की कमी शरीर में बिलकुल न होने दे, इसके कमी के कारण कई और दूसरी बीमारी को जगह मिल सकती है।

डायबिटीज़ का उपचार क्या है ?

  टाइप-1 डायबिटीज का कोई स्थायी उपचार नहीं है इसीलिए, व्यक्ति को पूरी ज़िंदगी टाइप-1 डायबिटीज का मरीज़ बनकर रहना पड़ता है। ऐसे लोगों को इंसुलिन लेना पड़ता है जिसकी मदद से वे अपनी स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं। 

  लेकिन, टाइप-2 डायबिटीज के लक्षणों से बिना किसी दवा के प्रतिदिन एक्सरसाइज, संतुलित भोजन, समय पर नाश्ता और वजन को नियंत्रित करके छुटकारा पाया जा सकता है। सही डायट की मदद से टाइप-2 डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद करता है। 

डायबिटीज से बचाव के उपाय क्या हैं?

डायबिटीज़ एक गंभीर बीमारी है जिससे, आपको आजीवन परेशानियां हो सकती हैं। डायबिटीज़ से पीड़ित व्यक्ति को स्वास्थ्य से जुड़ी कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं।  लेकिन, कुछ सावधानियां बरतकर और जीवनशैली में कुछ परिवर्तन लेकर डायबिटीज की बीमारी से बचा जा सकता है। जैसे:

1. स्वस्थ आहार लें और सही वजन बनाए रखें: एक स्वस्थ आहार होता है जिसमें पर्याप्त मात्रा में फल, सब्जियां, साबुत अनाज और फलियां हों, साथ ही साथ इसमें सैचुरेटेड फैट की मात्रा भी कम होनी चाहिए।

2. शारीरिक गतिविधि: नियमित रूप से व्यायाम करना आपको डायबिटीज से बचा सकता है और जिन लोगों को पहले से ही डायबिटीज है, उन्हें शुगर का स्तर नियंत्रित करने में भी मदद कर सकता है।

अगर आपको टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज है, तो आप इन उपचारों के अलावा निम्नलिखित उपाय भी कर सकते हैं - साल में एक बार शरीर की और आंख की जांच अवश्य कराएं। आपके डॉक्टर रेटिना, मोतियाबिंद और ग्लूकोमा की जांच करेंगे।

3. तनाव न लें : ज्यादा तनाव लेने से आपका शरीर जो हॉर्मोन बनाता है, वे हॉर्मोन इन्सुलिन को सही से काम नहीं करने देते। इसके कारण खून में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है और आपको ज्यादा तनाव होने लगता है। इसके लिए आराम देने वाली तकनीकों की सहायता लें और पर्याप्त नींद लेने का प्रयास करें।

4. अपने पांव को हलके गुनगुने पानी से रोजाना धोएं और पांव से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।

5. शराब न पिएं और अगर पीते हैं, तो इस आदत को छोड़ने का प्रयास करें।

6. अपने ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखें।

7. तंबाखू निषेध : अगर आप धूम्रपान करते हैं या किसी अन्य प्रकार के तम्बाकू का सेवन करते हैं, तो तुरंत छोड़ने का प्रयास करें।

8. ओरल हाइजीन: डायबिटीज के कारण आपको गंभीर मसूड़ों के इन्फेक्शन हो सकते हैं। अगर आपको लगता है कि आपके मसूड़े लाल हो रहे हैं या सूज रहे हैं, तो तुरंत अपने डेंटिस्ट के पास जाएं।


आयुर्वेद डायबिटीज़ में कैसे उपयोगी होगा ?

- सभी डायबिटीज़ के प्रकार में आयुर्वेद द्वारा किए गए उपचार फायदेमंद होते हैं।

- कुछ रुग्ण में जब मधुमेह शुरुआती स्टेज पर होता है तब आयुर्वेद उपचार से पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। 

- अगर डायबिटीज़ टाइप-1 है या टाइप-2 डायबिटीज बहुत सालों से है तो ऐसी अवस्था में आयुर्वेद उपचार द्वारा अनकंट्रोल सुगर को उसके सामान्य स्तर पर लाने के लिए आयुर्वेद उपचार उपयोगी होते है!

- सभी डायबिटीज़ के केसेस में ज्यादा शर्करा की वजह से आंखे/ लीवर/ किडनी / त्वचा आदि पर होने वाले गंभीर परिणाम - साइड इफेक्ट्स को ठीक करने के लिए आयुर्वेद चिकित्सा उत्तम और फायदेमंद है! 

- आयुर्वेद चिकित्सा एक्सपर्ट एवं डिग्री धारक आयुर्वेद डॉक्टर से ही करवाना उचित होगा! 

- आजकल इंटरनेट पर आयदिन नए नए नुस्खे और उपचार मोबाइल में फॉरवर्ड होते रहते हैं । इसके अलावा भी टीवी/ समाचारपत्र आदि में दवाइयों का एडवरटाइजिंग होता रहेता है । 

इन दवाइयों का बिना किसी डॉक्टर के सलाह किया हुआ सेवन कभी कभी फायदा तो नहीं देता लेकिन साइड इफेक्ट्स जरूर आ सकते है। यह घरेलू नुस्खे या कोई भी आयुर्वेद दवाइयों का आयुर्वेद के डॉक्टर की सलाह बिना इस्तमाल नहीं करना चाहिए! 

- आयुर्वेद डॉक्टर द्वारा सही निदान करवाके उचित दवाइयों का नियमित सेवन करें, उनके द्वारा दी गई खानपान की सलाह का रूटीन में सही ढंग से पालन करे. और डाक्टर को समय समय पर फॉलो-अप दे, जिससे आपके डायबिटीज़ का सही उपचार हो पाए । 

डायबिटीज़ के लिए आयुर्वेद निदान, उपचार एवं सलाह लेने के लिए हमारा संपर्क करें:

📦📞 टेलीफोनिक कंसल्टेशन और कुरियर सुविधा भी उपलब्ध है! 

 🩺 डॉ. जिगर गोर ( आयुर्वेद विशेषज्ञ )

🏥 श्री माधव स्मरणम आयुर्वेद क्लीनिक

🗺 गोविन्द चेंबर के पीछे - नारायण कोम्प्लेक्स,

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Thursday, January 27, 2022

सर्दियों के मौसम में कब्ज़ की समस्या

सर्दियों के मौसम में कब्ज़ की समस्या

 🚽 सुबह सुबह अगर पेट साफ हो जाए तो पूरा दिन अच्छे से बीतता है। लेकिन अगर कब्ज़ की समस्या आ जाए ती पूरा दिन खराब हो जाता है। 

🚽😣 कब्ज के दौरान आपको तरोजाता महसूस नहीं होता और पेट संबंधी समस्‍याएं जैसे दर्द, ठीक से फ्रेश ना होना, शरीर का मल पूरी तरह से न निकलना आदि होने लगती है। और तो और अगर आपको लंबे समय से कब्ज रहता है तो आप एक अजीब सा चिड़चिड़ापन ओर स्ट्रेस का अनुभव अक्सर करते हैं।

❄️ सर्दियों में भूख अच्छी लगती है और नए नए व्यंजन खाना भी खूब अच्छा लगता है। लेकिन कई लोग सर्दियों के मौसम में कब्ज़ की समस्या से परेशान रहेते है। खास कर छोटे बच्चों में भी कब्ज़ की समस्या यह मौसम में देखने मिलती है!

🎯 और आपने इस कब्ज़ की बीमारी का इलाज नहीं कराया है तो इससे कई दूसरी बीमारी भी रूप ले सकती है। बच्चों का शारीरिक विकास कब्ज़ की वजह से रुक जाता है । बड़े लोगो में और बच्चों में कब्ज़ की परेशानी से फिशर, पाइल्स, पेट का फुला रहेना, गेसेस- एसिडिटी, भूख ना लगना, चिड़चिड़ापन, अजीर्ण, कमजोरी सा महसूस होना आदि तकलीफ होने लगती है!

🚰 सर्दियों में होनेवाली कब्ज़ का पहला सामान्य कारण है: कम मात्रा में पानी का लेना ! कम पानी पीने से भोजन का सही पाचन नहीं हो पाता, और ड्राय स्टूल की वजह से कब्ज़ की तकलीफ हो जाती है।

🍔🍕 कब्ज़ का दूसरा मुख्य दूसरा कारण है: हमारा खान पान और जीवनशैली की आदतें ! सर्दियों में भूख तो अच्छी लगती है, लेकिन अगर खाया हुआ भोजन अच्छी तरह से पचा नहीं, तो भी कब्ज़ की समस्या सामने आ सकती है! 

❄️🥶 कब्ज़ होनेका तीसरा कारण है: सर्द मौसम और उसका शरीर पार असर ! सर्द मौसम की वजह से हमारे शरीर में शुष्कता - ड्रायनेस बढ़ जाती है। अगर हमारी आंत ( intestine ) ड्राय - शुष्क हो जाता है, तो मल का आंत में ठहराव बढ़ जाता है, ड्राय स्टूल और ड्राय इंटेस्टाइन से कब्ज़ की समस्या बनी रहती है ! 

❌ ज्यादातर लोग कब्ज़ - Constipation की समस्‍या से बचने के लिए पेट साफ करने की दवाओं का सहारा लेती हैं। पेट साफ करने की दवाएं लेने से तब तो पेट साफ हो जरूर जाता है, लेकिन बाद में दवाई बंद करने से फिर से कब्ज की समस्‍या होने लगती हैं। और एक बार अगर आपके शरीर को दवाओं की आदत पड़ जाए तो पेट कभी भी बिना दवा के साफ नहीं होता है। और अगर बच्चों में पेट साफ करने की दवाई दी जय तो उनका पूर्ण रूप से शारीरिक विकास भी नहीं हो सकता, इसलिए बच्चों को डॉक्टर की सलाह के बिना दवाई ना खिलाए। 



कब्ज़ को दूर करने के लिए इन बातों का ध्यान रखें:

🎯 पानी शरीर के लिए जरूरी तत्व है, अतः प्यास के मुताबिक पानी जरूर पिए। ज्यादातर बच्चे खेलने में पानी पीना भुल जाते है, जिनसे कब्ज की समस्या बनी रहती है। बच्चों को भी पानी पीने की आद डाले।

🍵 सर्दियों में जंक फ़ूड से दूर रहकर, ताजा, गर्म भोजन ले । 

❄️ शिशिर और हेमंत ऋतुचर्या का पालन करें! ( हरेक ऋतुचर्या के पोस्ट हमारी वेबसाइट पर उपलब्ध है )

🍴 भोजन खुदकी क्षमता अनुसार करे, एक बार लिया हुआ भोजन के पच जाने के बाद है खाना खाए, over-eating से पाचन- अग्नि मंद पड़ सकती है!

🚶🏼💪🏻 🧘🏻वॉकिंग करें, कसरत - योग और व्यायाम नियमित रूप से करे जिससे आपका पाचनतंत्र की कार्यक्षमता बनी रहे ।

🎯 ध्यान रखिए कि कब्ज़ की समस्या दूर करने के लिए सिर्फ पेट साफ करने के चूर्ण या दवाई से सम्पूर्ण उपचार नहीं हो पाता ! इसलिए यहां कोई उपचार- नुस्खे के बारे में हम बात नहीं करेंगे । 

✅ कब्ज़ की बीमारी आंतो के साथ साथ आपके पेट- यकृत आदि से जुड़ी हुई है, अतः योग्य तरीके से निदान के बाद किया गया उपचार ही फायदेमंद रहेगा! 

🩺 पेट साफ करने की दवाई / नुस्खा भले ही आयुर्वेद का ही क्यों ना हो, अगर डॉक्टर की सलाह-राय के बिना लीया जाए तो आपके स्वास्थ्य के लिए दुष्प्रभावी हो सकता है! इसलिए सामान्य लगने वाली, किन्तु जटिल ऐसी कब्ज़ की बीमारी के उपचार के लिए आयुर्वेद डॉक्टर की राय ले , योग्य निदान करवाएं, डॉक्टर के मुताबिक खान पान में ध्यान रखें और उनके उपचार से स्वस्थ बने...! 

🩺 बच्चों और बड़ों के पाचनतंत्र संबधी विकारों / समस्या के समाधान के लिए, आयुर्वेद निदान - उपचार और सलाह के लिए आप हमारा संपर्क कर सकते हैं !

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Thursday, January 20, 2022

Happiness is Key to Health

Happiness is good. It provides us with a sense of optimism, a “happy” attitude and a positivity that can be infectious. 😊

📝 According to a recent study, everyone attempts to find happiness in three ways: 

- Doing good for others,

- Doing things you’re good at and 

- Doing things that are good for you. 

💗 Moreover, those who are the most optimistic, are the happiest overall.

happiness is closely tied to being happy with your job, your closest relationships and taking care of yourself physically and emotionally.



😊 Effects of Happiness on Your Health:

For most people, happiness is a sense of purpose and well-being. This positive attitude translates to a variety of effects on a person’s health both physically and mentally, including:

👍 Opening a person’s mind to positivity: Optimism and vitality are critical to a person’s well-being.

💡 Improving a person’s problem-solving ability: Positive-minded individuals believe they “can” and want to achieve their goals.

💪🏼 Building physical, intellectual and social resources: This allows people to learn better because they seek other positive-minded people.

♥️ Protecting your health: Happiness lowers your risk for cardiovascular disease, lowers your blood pressure, enables better sleep, improves your diet, allows you to maintain a normal body weight through regular exercise and reduces stress.

People weighed down with labor, performing great works, accumulating knowledge, struggling to be spiritual and yet they had forgotten the one thing : "happiness! "

- which alone gives life to the mind and nourishment to the heart. 

There can be no health except in

happiness....!

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Wednesday, January 19, 2022

सर्दियों के मौसम में बालों की समस्या

 सर्दियों के मौसम में बालों की समस्या:

❄️ ठंड का मौसम शुरू हो चुका है. ऐसे में त्वचा और बालों पर सर्दियों का असर दिखना शुरू हो जाता है!

❄️💨 ठंडी हवाएं और मौसम के बदलाव बालों को बहुत नुकसान पहुंचाते है. और अगर इस ऋतु में आप हेयर ड्रायर / हेयर प्रोडक्ट्स का इस्तमाल ज्यादा करते है तो बाल खराब होने की संभानाएं बहेतर है।



🍂 शरीर के बदलाव और ठंडी हवाओं के कारण हमारे स्कैल्प की त्वचा भी रूखी होने लगती है, जिससे डैंड्रफ की समस्या हो सकती है, ऐसे में बाल rough - रूखे  होकर टूटने लगते हैं. 

🧴 ठंड के मौसम में डैंड्रफ की समस्या होने से हम ज्यादा केमिकल युक्त शैंपू और कंडीशनर का इस्तमाल करते है, इस के ज्यादा उपयोग से आगे जाकर बाल फ्रिजी - बेजान होकर टूटने लगते हैं. 

और कुछ समय बाद डैंड्रफ और रूखी त्वचा की समस्या वापस आने लगती है! क्या आप जानते हैं कि यह समस्या वापस क्यों आ जाती है?! 

🎯🎯 बालों का गिरना, डैंड्रफ, सूखे बेजान बालों की समस्या सिर्फ बाहर की त्वचा से संबंधित नहीं है, इस समस्या का हल हमारे शरीर के भीतर छुपा हुआ है। । जब तक शरीर के दोष - धातु आदि संतुलित नहीं होंगे तब तक यह समस्या आपका पीछा नहीं छोड़ती..! अकेले शैंपू या तेल से समस्या हल नहीं होगी। बालों की समस्या के लिए अंदरुनी और बाहर से बिना दुष्प्रभाव हो ऐसे उपाय- उपचार की जरूरत होती है! 

🎯 बालों की समस्या के लिए एक संतुलित और सुरक्षित आयुर्वेद उपचार के लिए आज ही हमारा संपर्क करे:


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